सामाजिक कुरीतियों से बेखौफ लड़ रही हेमलता
सुपौल। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मानव व्यापार, बाल मजदूरी, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर लगाम लगा
सुपौल। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मानव व्यापार, बाल मजदूरी, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर लगाम लगाने के लिए कई प्रयास हुए बावजूद इसका खात्मा नहीं हो सका। आज भी ये कुरीतियां समाज को मुंह चिढ़ा रही है। सरकार भी इन कुरीतियों के खात्मे की दिशा में सजग हुई है और अभियान चला रही है। इसके खात्मे को ले कई लोग आगे आए इनमें से ही एक नाम है हेमलता पांडेय का। सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज व पिपरा में विगत कई वर्षो से बाल श्रम, बाल व्यापार व बाल विवाह को लेकर हेमलता अभियान छेड़े हुई है। बताती हैं कि वर्ष 2008 में कुसहा-त्रासदी के समय उनकी संस्था ने त्रिवेणीगंज प्रखंड के औरलाहा, मिरजावा, डपरखा, कुसहा चार पंचायतों में बाल श्रम, बाल व्यापार व बाल विवाह को ले जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया। संस्था के सर्वे के अनुसार 750 बच्चे बाल श्रमिक पाये गये। जिन्हें विद्यालयों से जोड़ा गया। बताती है कि 96 मि¨सग बच्चों में से 62 बच्चों की रिकवरी की गई। बताती है कि कमजोर वर्ग के 1128 किशोर एवं किशोरियों को शामिल कर 94 समूह का गठन किया गया है जिन्हें जागरूक करने के लिए ओरिएंटेशन और एक्सपोजर विजिट करवाया गया है। स्कूल से वंचित बच्चों के लिए दस चाइल्ड फ्रेंडली सेंटर खोला गया है, जिसमें बच्चों को पढ़ाने के लिए 10 शिक्षक की नियुक्ति की गई है। उन्होंने बताया कि जिले के 47 गांव में उनकी संस्था द्वारा मानव व्यापार, बाल विवाह, बाल मजदूरी , महिला सशक्तीकरण आदि पर कार्य किया जा रहा है। 2018 में हेमलता ने 18 बाल विवाह को रोकने में महत्वपूण भूमिका निभाई है। बाल विवाह से संबंधित चार मामला उन्होंने स्वयं थाने में दर्ज करवाया है। इसमें चार मामला मानव व्यापार से जुड़ा हुआ था जिसमें इस गिरोह के लोगों को जेल भेजवाने व नाबालिग की ¨जदगी तबाह होने से बचाने में उनके द्वारा भूमिका निभाई गई है। इससे इतर वह 50 युवतियों को ब्यूटी पार्लर का प्रशिक्षण दिलाकर उन्हें स्वावलंबी बनाने का कार्य किया है। स्कूल कालेजों में जाकर उनके द्वारा लड़कियों को गुड टच-बैड टच के बारे में जानकारी भी दी जा रही है। बालश्रम, मानव व्यापार एवं बाल विवाह पर लगाम हेतु उनके द्वारा 80 महिला एवं पुरुष को तीन दिवसीय प्रशिक्षण भी दिलाया गया है। राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से उसने 23 मामलों के निश्शुल्क निपटारे में सहयोग किया है। विगत एक वर्ष के दौरान बाल विवाह रोकने के क्रम में उन्हें खतरा भी झेलना पड़ा बावजूद बगैर किसी परवाह के वह आज भी अपने मिशन में जुटी हुई है। इन कार्यों के साथ-साथ हेमलता विधिक सेवा प्राधिकार से जुड़ कर सैकड़ों पीड़ितों को कानूनी सहायता उपलब्ध करा रही है। उनका मानना है कि मानव व्यापार, बाल विवाह, बाल मजदूरी को खत्म किये बिना सभ्य समाज का निर्माण नहीं हो सकता है।