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भ्रष्टाचार पर लगाम को ले सजग प्रहरी की भूमिका निभा रहे अनिल

सुपौल। आवाम के हाथ में सूचना के अधिकार अधिनियम के रूप में एक कारगर हथियार हाथ लगा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:47 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:47 AM (IST)
भ्रष्टाचार पर लगाम को ले सजग प्रहरी की भूमिका निभा रहे अनिल
भ्रष्टाचार पर लगाम को ले सजग प्रहरी की भूमिका निभा रहे अनिल

सुपौल। आवाम के हाथ में सूचना के अधिकार अधिनियम के रूप में एक कारगर हथियार हाथ लगा है। इसके माध्यम से आए दिन घोटाले व अनियमितता के खुलासे हो रहे हैं। सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और पारदर्शिता बनाये रखने को ले सबसे प्रभावी कानून का ही नाम है सूचना का अधिकार अधिनियम। सूचना का अधिकार अधिनियम जनता के हाथ एक ऐसा अधिकार है, जिसके माध्यम से देश की जनता सरकारी तंत्र पर न केवल निगरानी रख सकती है, बल्कि सरकारी तंत्र पर लगाम भी लगा सकती है। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत उन सभी सूचनाओं की जानकारी दिए जाने का प्रावधान है, जो जनता के हित व पारदर्शिता से संबंधित है। सूचना का अधिकार अधिनियम नामक हथियार से जिले में भी कई मामले व घोटाले उजागर हुए हैं। इस अधिनियम से सरकारी तंत्र पर लगाम लगाने को ले जिले के कई लोग आगे आये। ऐसे ही लोगों में से एक हैं विद्यापुरी सुपौल निवासी अनिल कुमार ¨सह। अनिल ने सूचना के अधिकार अधिनियम को अपना हथियार बनाया है। सूचना के तहत उनके द्वारा शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, आइसीडीएस, मनरेगा, जिला योजना, पुलिस विभाग, कल्याण विभाग, ग्रामीण कार्य प्रमंडल, समाहरणालय आदि से संबंधित कई सूचनाएं मांग कर कई मामले का पर्दाफाश किया है। साथ ही घोटाले व भ्रष्टाचार को उजागर किया है। उनके द्वारा उजागर किये गये मामलों में कई पदाधिकारियों पर गाज गिरी और कई कार्रवाई की जद में आये। कोसी प्रमंडल में बिना पद के शिक्षकों की पदस्थापना व करोड़ों के अवैध निकासी की इनके द्वारा किये गये खुलासे के बाद निगरानी थाना में कांड संख्या 3/12 दर्ज कर आरडीडीई सहरसा, जिला शिक्षा पदाधिकारी सुपौल, सहरसा व मधेपुरा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। सर्व शिक्षा अभियान सुपौल में 2015 में 35 करोड़ अवैध निकासी का मामला इनके द्वारा उजागर किया गया। मामले को लेकर सर्व शिक्षा के डीपीओ के विरुद्ध प्रपत्र क गठित करते हुए सरकार को लिखा गया। 2018 में अनिल कुमार ¨सह द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त सुपौल जागरूकता अभियान का गठन कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। 2018 में उनके द्वारा शिक्षक नियोजन में बड़े पैमाने पर अनियमितता के विरुद्ध परिवाद दायर किया गया था जिसके आलोक में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने जांचोपरांत सुपौल थाना कांड संख्या 508/2018 में 84 शिक्षक, नियोजन इकाई, पदाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया। उच्च न्यायालय के फर्जी आदेश पर 72 सेवा निवृत्त शिक्षकों को लगभग 7 करोड़ के अवैध भुगतान के मामले में बिहार सरकार शिक्षा विभाग ने सुपौल के डीपीओ अमर भूषण को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत पंचायतों में बड़े पैमाने पर अनियमितता के मामले में मुख्य सचिव के आदेश पर पंचायती राज विभाग की राज स्तरीय टीम ने जांच कर मामले सही ठहराया। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से मुखिया एवं पंचायत सचिव के संपत्ति जांच कराने का निर्णय लिया गया। गोठ बरुआरी पंचायत में 57 लाख रुपये का अवैध समायोजन में 43 लाख का फर्जी समायोजन के मामले में आयुक्त कोसी प्रमंडल के आदेश पर डीएम सुपौल ने मुखिया, पंचायत सचिव, अभियंता, अभिकर्ता पर प्राथमिकी दर्ज कर राशि वसूलजी का आदेश दिया। साथ ही साथ बीडीओ , प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी एवं सहायक अभियंता पर कार्रवाई शुरु कर दी गई है। त्रिवेणीगंज प्रखंड के मध्य विद्यालय गुड़िया में आठ लाख 20 हजार रुपये की फर्जी निकासी का खुलासा हुआ है। ओडीएफ के नाम पर आम आवाम से पदाधिकारियों द्वारा किए जा रहे दु‌र्व्यवहार का मामला प्रधान सचिव ग्रामीण विकास के यहां चल रहा है।

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फिलहाल अनिल कुमार सिंह सूचना के अधिकार अधिनियम को ही हथियार बनाए हुए हैं और सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में भूमिका निभा रहे हैं।


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