23 पंचायतों में पसरा रहता है अंधेरा
सुपौल। सरकार के लाख कवायद के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकांश आबादी आज भी विद्युत सेवा से वंचित है। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि 23 पंचायतों वाले इस प्रखंड में एक भी पंचायत का पूर्ण रूप से विद्युतीकरण नहीं हो पाया है।
सुपौल। सरकार के लाख कवायद के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की अधिकांश आबादी आज भी विद्युत सेवा से वंचित है। विभागीय उदासीनता का आलम यह है कि 23 पंचायतों वाले इस प्रखंड में एक भी पंचायत का पूर्ण रूप से विद्युतीकरण नहीं हो पाया है। ऐसा नहीं है कि विद्युत सेवा विहीन इलाके का सर्वे कार्य पूरा नहीं किया गया है। सर्वे होने को साल गुजर रहे हैं। संचरण लाइन बिछाने के पूर्व सर्वे कार्य अनिवार्य रहता है। विद्युत सेवा प्राप्त करने वाले ग्रामीण निजी खर्च वहन कर सर्वेकर्ता को लाकर सर्वे कार्य पूर्ण करवाते हैं फिर भी संचरण लाइन बिछाने की मांग पर आना कानी की जाती है और विभाग बेपरवाह बना रहता है।
-कहते हैं माधोपुरवासी
उदाहरणस्वरूप सिर्फ माधोपुर पंचायत की बात करें तो विभागीय मनमानी की पोल खुल रही है। स्थानीय पंसस भवेश यादव बताते हैं कि पंचायत का वार्ड नंबर तीन, पांच और 10 में आजतक विद्युत सेवा बहाल नहीं हो पाई है। जिस कारण इन वार्डों में रहने वाले सैकड़ों महादलित व मुस्लिम परिवार ढिबड़ी युग में जीवन गुजारने को विवश हैं। बीते दो वर्षों से सांसद विधायक से लेकर विभागीय एसडीओ एवं जेई से लिखित रूप से अनुरोध किया गया। लेकिन अनुरोध बेकार साबित हुआ। एक वर्ष पूर्व भपटियाही से सर्वेयर को निजी खर्च कर वाहन से लाकर सर्वे कार्य पूर्ण कराया गया। बावजूद इसके आजतक संचरण लाइन नहीं बिछाया गया जो विभागीय मनमानी को दर्शाता है। खुर्शीद खान ने कहा कि सरकार भले ही महादलित व अल्पसंख्यक बस्तियों में प्राथमिकता के आधार पर कार्य करने के दावे करती है लेकिन विभाग उस दावे को झुठलाने पर तुली हुई है। हरीलाल राम, शंभू राम आदि बताते हैं कि सरकारी दावों के बावजूद महादलित समुदाय के लोग विद्युत सेवा से वंचित हैं जो हैरत की बात है। विभाग को चाहिए कि प्राथमिकता के आधार पर इन बस्तियों में विद्युत सेवा बहाल करे। अन्यथा महादलित व मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।