चिलौनी नदी पर नहीं बन रहा पुल, लोगों को डायवर्सन व चचरी का सहारा
संवाद सूत्र त्रिवेणीगंज (सुपौल) प्रखंड के मचहा तक जाने वाली प्रमुख मार्ग चिलौनी नदी पर बना डायवस
संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): प्रखंड के मचहा तक जाने वाली प्रमुख मार्ग चिलौनी नदी पर बना डायवर्सन के टूटने के बाद परिचालन पूरी तरह ठप हो जाता है। इतना ही नहीं प्रत्येक वर्ष बारिश के समय में अधिक बारिश होने के कारण त्रिवेणीगंज बाजार से सटे चिलौनी नदी व टेढ़ा धार में स्थित पानी का बहाव तेज हो जाता है। जिससे नदी पर बना डायवर्सन तेज बहाव में टूट कर बिखर जाता है। जिससे पड़ोसी जिले मधेपुरा सहित त्रिवेणीगंज प्रखंड के दर्जनों से अधिक गांवों का अनुमंडल मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। इस सड़क मार्ग पर वाहनों का परिचालन डायवर्सन टूटने के बाद पूरी तरह ठप हो जाता है। यातायात ठप हो जाने से राहगीरों एवं यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं, डायवर्सन टूटने के बाद लोगों को प्रखंड के किसी काम से 10 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाने के बाद लोग लंबी दूरी की यात्रा करने पर विवश हो जाते हैं। इधर, डायवर्सन टूटने के बाद स्थानीय प्रशासन व पदाधिकारी के द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था बना कर आवागमन को किसी तरह से चालू कर दिया जाता है। मालूम हो कि 2008 में आई प्रलयकारी बाढ़ ने चिलौनी नदी बना पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया। जिसके 9 वर्ष बाद 2017 में बारिश के कारण क्षतिग्रस्त पुल पानी की तेज धारा में धराशायी हो गया था।
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पूर्व में भी एक डायवर्सन टूटा
वर्ष 2017 में जर्जर पुल के धराशायी होने के बाद त्रिवेणीगंज एसडीओ विनय कुमार सिंह की पहल पर टूटे पुल के सटे उत्तर लगभग 29 लाख रुपये की लागत से डायवर्सन का निर्माण कराया गया जो महज 6 महीने के भीतर ही नदी में बह गया। जिसके बाद पुन: प्रशासनिक पहल पर करीब 20 लाख की लागत से डायवर्सन का निर्माण कराया। जो वर्ष 2019 में बारिश के समय में पानी के तेज बहाव के कारण बह जाने के बाद मचहा ग्रामवासियों ने थक-हार कर ग्रामीणों की एक बैठक कर नदी पर बांस की चचरी पुल खुद के द्वारा चंदा इकठ्ठा कर बनाने का फैसला ले लिया और बीते तीन दिन पूर्व करीब 10 हजार रुपये की लागत से चचरी का पुल का निर्माण किया गया था। हालांकि पुल टूटने के बाद उक्त स्थल पर दो डायवर्सन का निर्माण तो कराया गया लेकिन वह भी पानी की तेज बहाव की भेंट चढ़ गया। इससे यही जाहिर होता है कि पुल नहीं बनने तक डायवर्सन के नाम पर हर साल खानापूर्ति होता ही रहेगा।