हौसले हों बुलंद तो बालू से भी निकल सकता है सोना, साबित किया इन किसानों ने
सुपौल जिले के पांच प्रखंड कुसहा में तबाही मचाने के बाद कोसी बालू का ढेर दे जाती है। लेकिन, यहां के किसानों ने बालू में खेती कर मशरूम और रेशम उत्पादन में खास उपलब्धि हासिल की है।
सुपौल [मिथिलेश कुमार]। हौसला हो तो इंसान बालू से भी सोना निकाल लें। कोसी की त्रासदी के बाद खेतों में बालू बिछ जाने से किसान परेशान थे। लेकिन, आज वे बालू भरे खेतों में भी नया कीर्तिमान गढ़ रहे हैं। इलाके में राजमा की लाली, मशरूम की सफेदी और रेशम की चकाचौंध दिख रही है।
मशरूम और रेशम उत्पादन में तो जिले ने खास उपलब्धि हासिल की है। लोगों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है और इलाका समृद्धि की ओर बढ़ता दिखने लगा है।
कुसहा त्रासदी में प्रभावित हुए थे पांच प्रखंड
2008 में कोसी ने जब कुसहा में तबाही मचाई तो सुपौल जिले के पांच प्रखंड भी बुरी तरह प्रभावित हुए। खेतों में बालू की मोटी चादर सी बिछ गई। सरकार ने खेतों से बालू हटाने के लिए आर्थिक मदद भी दी, लेकिन किसानों ने इन पैसों का इस्तेमाल दो जून की रोटी के लिए कर लिया।
बालू से सोना उगाने की पहल
बाद में कई वैज्ञानिक सर्वेक्षण हुए और बालू से सोना उगाने की पहल शुरू की गई। प्रयोग के तौर पर कई प्रखंडों में राजमा की खेती शुरू की गई। परिणाम उत्साहवद्र्धक रहे।
किसान भी प्रोत्साहित हुए और राजमे की खेती की ओर प्रेरित हुए। परंपरागत खेती से अधिक मुनाफा उन्हें इस खेती में दिखा। उत्पादन अधिक होने के कारण बाहर के व्यवसायी भी यहां आने लगे और राजमा को बाजार मिल गया।
मशरूम उत्पादन के लिए भी पहल
राजमा के बाद मशरूम उत्पादन के लिए भी यहां के किसानों को प्रशिक्षित व प्रेरित किया गया। किसानों ने अपनी मेहनत के बल पर पिछले वर्ष इस क्षेत्र में सूबे में पहला स्थान प्राप्त किया। जिले के त्रिवेणीगंज, छातापुर आदि प्रखंडों में बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती की जा रही है।
रेशम की भी धूम
मुख्यमंत्री कोसी मलवरी परियोजना के लिए सुपौल समेत कोसी के सात जिलों का चुनाव किया गया। सुपौल के किसानों ने 2017-18 में अक्टूबर तक 70 ङ्क्षक्वटल से अधिक कोकून उत्पादन कर कीर्तिमान स्थापित किया है। मलवरी किसानों ने 19700 डीएफएल (अंडे का चट्टा) मंगाकर बिहार में अव्वल स्थान प्राप्त किया है।
कहते हैं किसान
सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के किसान ज्ञानदेव मेहता, उपेंद्र मेहता, कुसुमदेव मेहता, अवध नारायण मेहता, तेजनारायण मेहता, गयानंद भारती, मु. शहीद, मु. अकबर आदि बताते हैं कि इलाके में शहतूत की खेती की अपार संभावनाएं हैं। कई जगहों पर इसकी खेती हो भी रही है।
शहतूत की खेती में महिलाओं की भी भागीदारी है। किसानों का पहले जीवनस्तर ऊंचा उठा है, लेकिन इन्हें सरकारी प्रोत्साहन की जरूरत है। किसानों को मलाल है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने दौरे के क्रम जिन सुविधाओं और संसाधनों की बात की थी, वह अभी तक नहीं मिल पाई हैं।
कहा-कृषि पदाधिकारी, सुपौल ने
शहतूत की खेती और मशरूम उत्पादन को लेकर सरकार और विभाग दोनों सजग है। शहतूत और मशरूम उत्पादकों को सरकारी स्तर पर कई तरह की सुविधाएं व प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
विशेष फसल योजना (अबतक लागू नहीं हो पाई) के तहत जिले के पांच हजार परिवारों को मशरूम उत्पादन से जोडऩे का लक्ष्य है। शहतूत की खेती भी जिले में बढ़-चढ़कर हो रही है। किसानों में जागरूकता बढ़ी है और विभाग भी उन्हें हर तरह की सहायता देने को तत्पर है।
प्रवीण कुमार झा,जिला कृषि पदाधिकारी, सुपौल