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रोजगार का द्वार खोल रही नर्सरी

नर्सरी प्रबंधन युवाओं के लिए रोजगार का एक बेहतर माध्यम बनकर सामने आया है। कई ऐसे युवा हैं जो इस व्यवसाय को अपनाकर आज बेहतर जीवन जी रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:04 PM (IST)
रोजगार का द्वार खोल रही नर्सरी
रोजगार का द्वार खोल रही नर्सरी

सुपौल। बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन कर उभर रही है। खासकर उद्योगविहीन कोसी के इस इलाके में इसका दायरा काफी लंबा है। कोई ऐसा दिन नहीं जब यहां के लोग रोजगार की तलाश में अन्य प्रदेशों का रुख नहीं करते हों। ऐसे में नर्सरी प्रबंधन युवाओं के लिए रोजगार का एक बेहतर माध्यम बनकर सामने आया है। कई ऐसे युवा हैं जो इस व्यवसाय को अपनाकर आज बेहतर जीवन जी रहे हैं। कम पूंजी और विस्तृत बाजार उपलब्ध होने के कारण नर्सरी का यह व्यवसाय इलाके में काफी फल-फूल रहा है और बेरोजगारी पर भी बहुत हद तक विराम लगा पा रहा है। जिले के कई इलाकों में नर्सरी का व्यवसाय जोर पकड़ लिया है। कल तक कई दुर्लभ पौधों के लिए अन्य जगहों पर निर्भर रहने वाला इस इलाके के लोगों को अब आसानी से ऐसे पौधे उपलब्ध हो जा रहे हैं। जिसमें फल-फूल के अलावा औषधीय पौधा भी प्रमुख रूप से शामिल होता है।

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कम पूंजी युवाओं को कर रहा है आकर्षित

बेरोजगारी के इस दौर में लोगों को सबसे बड़ी समस्या पूंजी को लेकर होती है। नर्सरी प्रबंधन एक ऐसी व्यवस्था है जो पूंजी वाली समस्या को बहुत हद तक कम कर देती है। कम पूंजी के कारण युवाओं का झुकाव इस व्यवसाय की ओर हो रहा है। इधर पर्यावरण के प्रति लोगों की मानसिकता भी बदल रही है। जिससे इस व्यवसाय को आसानी से बाजार भी उपलब्ध हो रहा है। खासकर कोसी का यह इलाका जहां एक बड़ा भूभाग उपजाऊ लायक जमीन नहीं होता है। ऐसे जमीन में नर्सरी लगाना या फिर वन क्षेत्र को बढ़ावा देना इस व्यवसाय को गति प्रदान करने के लिए बेहतर है।

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विभाग भी नर्सरी व्यवसाय को दे रहा बढ़ावा

हाल के दिनों में कृषि विभाग की नजर भी नर्सरी प्रबंधन पर पड़ा है। मिशन बागवानी जैसी योजनाएं इस प्रबंधन को बढ़ावा दे रहा है। चालू वित्तीय वर्ष में उद्यान विभाग ने गेंदा खेती को लेकर एक मास्टर प्लान तैयार कर युवाओं को आगे लाने का प्रयास किया है।

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नर्सरी व्यवसाय से जुड़े लोगों की जुबानी

नर्सरी व्यवसाय से जुड़े पिपरा के विजय मुखिया, मलहद के सत्येंद्र सिंह, नगर परिषद के संतोष कुमार आदि बताते हैं कि घर की माली हालत अच्छी नहीं होने तथा कम पढ़े-लिखे होने के कारण उन लोगों के सामने बेरोजगारी बड़ी समस्या बन कर खड़ी थी। कुछ करना चाह रहे थे तो फिर पूंजी बाधक बन रही थी। शुरुआती दौर में उन लोगों ने एक छोटे से जमीन में नर्सरी लगाकर पौधे को बाजार में ले जाकर खपाने लगे। धीरे-धीरे व्यवसाय ने जोर पकड़ा और आज उन लोगों के पास नर्सरी का एक बड़ा फॉर्म उपलब्ध है। अब तो वे लोग अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं।


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