किसान सम्मान योजना का हाल बेहाल, जांच को लंबित पड़े पचास हजार आवेदन
सूबे में भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के दावे किए जाते है कितु सच्चाई यह है कि अस्पतालों में संसाधनों का अभाव व डिमांड के अनुरूप दवा अनुपलब्ध नहीं रहती है। लिहाजा लोगों को स्वास्थ्य सेवा का भरपूर लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी का एक जीता जागता नमूना प्रखंड मुख्यालय में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का घोर अभाव इलाके के लेागों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ उपलब्ध कराने में बाधक बन रहा है।
-कृषि कर्मी के स्तर पर 24085 तथा अंचलाधिकारी के स्तर पर 37525 आवेदन जांच हेतु पड़ा है लंबित
-योजना के तहत जिले में 90652 किसानों ने अब तक किए हैं आवेदन
-3662 आवेदन को अभी तक किया जा चुका है निरस्त
- नहीं हो रहा निष्पादन, अंचल कार्यालय में धूल फांक रहा है आवेदन
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जागरण संवाददाता, सुपौल: सरकार भले ही किसानों को समृद्ध बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाओं का संचालन कर रही हो। लेकिन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता से किसानों को उसका समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिले में हाल बेहाल बन चुका है केंद्र सरकार द्वारा किसान हित में चलाई जा रही महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का। जिले के विभिन्न प्रखंडों में हजारों आवेदकों द्वारा ऑनलाइन किया गया आवेदन निष्पादन के अभाव में अंचल कार्यालय में धूल फांक रहा है। जिससे जिले के किसान इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ उठाने से वंचित हो रहे हैं। दरअसल सरकार ने किसानों को आर्थिक रूप से बल देने के उद्देश्य प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना की शुरुआत की। जिसके तहत किसानों को वर्ष में तीन किस्तों में 6000 रुपये की राशि मिलनी है। लेकिन सीओ की उदासीनता के कारण जिले में यह योजना दम तोड़ती दिख रही है। योजना के तहत जिले के 90652 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया। जिसमें कृषि कर्मी के स्तर पर 24085 तथा अंचलाधिकारी के स्तर पर 37525 आवेदन जांच हेतु लंबित पड़ा है। योजना का सबसे सुखद पहलू है कि अपर समाहर्ता के स्तर से आज की तारीख में मात्र एक आवेदन ही लंबित पड़ा हुआ है। जबकि किसानों द्वारा दिए गए कुल आवेदन में से 2248 आवेदन कृषि कर्मी के स्तर से तथा 1414 किसानों के आवेदन अंचलाधिकारी के स्तर से निरस्त किया जा चुका है।
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क्या है आवेदन जांच की प्रक्रिया
सबसे पहले पंजीकृत किसानों द्वारा योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाता है। किसानों द्वारा ऑनलाइन आवेदन करते ही स्वत: कृषि समन्वयक के पास आवेदन पहुंच जाता है। जिसके बाद आवेदन का सत्यापन कर कृषि समन्वयक द्वारा सीओ के साइट पर फॉरवर्ड कर दिया जाता है। जहां से जांच बाद अंचलाधिकारी अपने वरीय अधिकारी को आवेदन ऑनलाइन फॉरवर्ड कर देते हैं। फिर भुगतान की प्रक्रिया अग्रसारित होती है। परंतु अंचलाधिकारी व कृषि कर्मी के गंभीर नहीं होने के कारण जिले में यह योजना फ्लाप सी दिख रही है।
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मरौना में सबसे अधिक तो किशनपुर में सबसे कम आवेदन जांच के लिए है लंबित
जिले के मरौना प्रखंड में सबसे अधिक आवेदन अंचलाधिकारी के स्तर से जांच के लिए लंबित पड़ा हुआ है। इस प्रखंड के 17273 किसानों ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए आवेदन किए। जिसमें से 9737 आवेदनों की जांच अंचलाधिकारी के स्तर से लंबित पड़ा हुआ है। जबकि जिले के किशनपुर प्रखंड में सबसे कम आवेदन जांच के लिए लंबित है। किशनपुर प्रखंड में 5961 किसानों ने आवेदन किए, जिसमें से अंचलाधिकारी स्तर पर महज 471 आवेदन ही जांच के लिए लंबित पड़ा हुआ है।
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अंचलाधिकारी स्तर से प्रखंडवार जांच हेतु लंबित आवेदनों की संख्या
प्रखंड का नाम--------लंबित आवेदनों की संख्या
-बसंतपुर---------------1387
-छातापुर----------------5964
-किशनपुर---------------471
-मरौना-----------------9737
-निर्मली---------------2151
-पिपरा------------------4344
-प्रतापगंज---------------773
-राघोपुर-----------------3753
-सरायगढ़-भपटियाही---------2130
-सुपौल-----------------5546
-त्रिवेणीगंज----------------1269
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