जाम से कराहता सिमराही बाजार, प्रशासनिक पहल की दरकार
लगातार हो रहे विकास में सुगम यातायात ही विकास का रास्ता माना जा रहा है। चुनाव में भी नेताओं द्वारा वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सड़क के विकास की चर्चा कर लोगों का दिल जीतना चाहते हैं। लेकिन जिले का हृदय स्थली सिमराही बाजार पिछले कई वर्षों से जाम के झाम में फंसा
-हजारों की संख्या में कई स्थानों के लिए बाजार से गुजरती है वाहन
-बाजार में घंटों लगा रहता जाम, खामियाजा उठाते स्थानीय लोग
-न स्थाई बस स्टेंड और न ही कोई पार्किंग की व्यवस्था
-वर्षो से बाजार में अधूरा पड़ा है नाला निर्माण, देखनहार की दरकार
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फोटो फाइल नंबर-21एसयूपी-1
अरुण जायसवाल, राघोपुर(सुपौल): लगातार हो रहे विकास में सुगम यातायात ही विकास का रास्ता माना जा रहा है। चुनाव में भी नेताओं द्वारा वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए सड़क के विकास की चर्चा कर लोगों का दिल जीतना चाहते हैं। लेकिन जिले का हृदय स्थली सिमराही बाजार पिछले कई वर्षों से जाम के झाम में फंसा है। यहां अगल बगल में लाखों की आबादी है। प्रतिदिन करीब हजारों की संख्या में विभिन्न व्यापार के लिए सिमराही बाजार छोटी-बड़ी वाहन आते रहते हैं। एनएच 57 एवं एवं एनएच 106 को जोड़ने वाला चौक अतिक्रमण और ट्रैफिक व्यवस्था के सु²ढ़ नहीं रहने के कारण यहां की सड़कों पर हमेशा जाम का नजारा देखने को मिलता है। बताते चलें कि सिमराही बाजार से हजारों की संख्या में भारी वाहन बस 22 चक्का वाला ट्रक देश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे सिलचर से पोरबंदर, पड़ोसी देश नेपाल से बिहार सहित कई राज्यों के लिए गुजरती है। लेकिन सिमराही बाजार को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए अब तक कोई ठोस और कारगर कदम नहीं उठाया गया है। जो भी कार्रवाई हुई है वह ढाक के तीन पात साबित हुई है। इस बार चुनाव में भी रैयतों के लंबित बकाए मुआवजे का भुगतान एवं सड़क जाम का मुद्दा अंदर ही अंदर लोगों के जेहन में पनप रहा है। उसका असर क्या होगा इसका गवाह तो 23 मई को मतगणना के बाद ही मिलेगा। अतिक्रमण से गांव की सड़कें भी अछूती नहीं है न ही सड़क के किनारे कोई नाले का निर्माण, सात निश्चय योजना या पंचायत स्तर से किया जा रहा है। दिनोंदिन सड़कें सिकुड़ती जा रही है जिससे जाम की समस्या और दुर्घटना की आशंका बन जाती है। सड़क के किनारे पानी की निकासी के लिए बनाए गए आधे अधूरे नालों पर भी लोगों द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। कई बार प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाया जाता है लेकिन कुछ ही दिन बाद इस पर लोग काबिज हो जाते हैं। पार्किंग एवं ट्रैफिक सिस्टम की व्यवस्था नहीं रहने से हमेशा जाम लगती है। जानकारी के अनुसार सिमराही बाजार में सैकड़ों बस, सैकड़ों की संख्या में टेम्पू, ई-रिक्शा, पिकअप वैन, भारी ट्रक और अन्य वाहनों का प्रवेश होता है। यहां ना ही कोई बस पड़ाव है और ना ही पार्किंग की व्यवस्था। जिसके चलते सड़क पर ही गाड़ी खड़ी कर यात्री को उतारते-चढ़ाते हैं और वहीं सड़कों पर ही गाड़ी खड़ी कर लोग बाजार में खरीदारी भी करते हैं। शहर में जाम के लिए सिर्फ प्रशासनिक अमला ही जिम्मेदार नहीं है। नगर के बुद्धिजीवियों का कहना है कि सड़क जाम के निजात के लिए पुलिस-प्रशासन को आगे कदम बढ़ाना होगा। अधिग्रहित की गई जमीन की लंबित भुगतान भू-अर्जन से दिलाना होगा एवं नाले का निर्माण बरसात से पहले करवाना होगा। साथ ही आम लोगों को भी अपनी मानसिकता बदलनी होगी। लोग अपने वाहन को आगे बढ़ाने के चक्कर में बेतरतीब ढंग से आगे बढ़ा देते हैं। जिस कारण भी जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है और दूसरे लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।