चैत नवरात्रा:::::भक्तों ने की मां स्कंद माता की पूजा-अर्चना
भविष्य वेत्ताओं की भविष्यवाणी आ रही है कि चौथा विश्व युद्ध पानी के लिये ही लड़ा जायेगा। ऐसे में प्रकृति के इस नेमत का बेहतर उपयोग तो किया ही जा सकता है।
संवाद सूत्र, करजाईन बाजार(सुपौल): चैती अर्थात वासंतिक नवरात्र के अवसर पर क्षेत्र में हर तरफ श्रद्धा व उल्लास का वातावरण है। शक्ति की देवी की आराधना के लिए मां दुर्गा के दरबार में श्रद्धालु आस्था के साथ पूजा-अर्चना के लिए पहुंच रहे है। सुबह से ही पूजा-अर्चना के लिए भक्तों का आगमन शुरु हो जाता है। क्षेत्र के रतनपुर पुरानी बाजार, समदा गढ़ी, सितुहर आदि जगहों पर स्थित दुर्गा मंदिरों में भजन-कीर्तन से माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। बुधवार को श्रद्धालुओं ने पूरी निष्ठा से मां स्कंदमाता की पूजा की। माता की महिमा हर किसी को रिझा रही है। हर कोई माता के भक्ति रस में सराबोर नजर आ रहे हैं। सितुहर स्थित दुर्गा मंदिर में श्रीमद भागवत कथा के आयोजन से क्षेत्र का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है।
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रोग, शोक, संताप व भय का हरण करती हैं माता कात्यायनी
आदि शक्ति माता दुर्गा का षष्ठम रुप श्री कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदि शक्ति उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म ली थी। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्र के छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस बारे में आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि भगवती कात्यायनी की भक्ति व उपासना से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनिष्ट हो जाते हैं। इनका उपासक निरंतर इनके सानिध्य में रहकर परम शांति, सुख व ऐश्वर्य का अधिकारी बन जाता है। मां कात्यायनी के भक्त इस लोक में स्थित रहकर अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। आचार्य ने बताया कि माता कात्यानी की आराधना के दौरान साधक को अपना चित्त आज्ञा चक्र में स्थिर करके साधना करनी चाहिए। इसकी उपासना से आज्ञा चक्र स्वत: जागृत हो जाती है।