पांच साल यह हाल::::: रखरखाव के अभाव में संयंत्र हुए बेकार, शोभा की वस्तु बना जलमीनार
चुनाव की तारीख ज्यों-ज्यों निकट आती जा रही है सारा सिस्टम चुनावी मोड में आता जा रहा है। हर बैठक चौपाल में देश की अंदरुनी नीति विदेश नीति अतीत की स्थिति वर्तमान हालात सब पर तर्कसंगत चर्चा। प्रधानमंत्री से लेकर अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि तक की पूरी समीक्षा से भी बाज नहीं आ रही जनता। पुलवामा की घटना से बात शुरु होती है और अभिनंदन पर खत्म। अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का पूरा पोस्टमार्टम। मोदी का ओजराहुल के बोलदीदी के तेबरतेजस्वी के तेज यानी सब पर बहस
-2008 में विभाग द्वारा एक करोड़, सात लाख, एकसठ हजार की लागत से जलमीनार का करवाया गया था निर्माण
-एसएच निर्माण के क्रम में सड़क के नीचे दब कर रह गई पाईप लाईन
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फोटो फाइल नंबर-7एसयूपी-1
संजय कुमार, छातापुर(सुपौल): पीएचईडी द्वारा प्रखंड मुख्यालय के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लाखों रुपये के खर्च से निर्मित जलमीनार शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। करीब दस वर्ष पूर्व ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बनाए गए उक्त जलमीनार से आज तक एक बूंद पानी भी आम लोगों को नसीब नहीं हो पाया है। वहीं समुचित रखरखाव के अभाव में संयंत्र बर्बादी की कगार पर हैं। जानकारी अनुसार वर्ष 2008 में विभाग द्वारा कुल एक करोड़ सात लाख एकसठ हजार की लागत से इस जलमीनार का निर्माण करवाया गया था। जलमीनार के निर्माण के उपरांत आसपास के लोगों को स्वच्छ पेयजल मिलने की आस बंधी थी। परन्तु निर्माण के वर्षो बीत जाने के उपरांत भी इस जलमीनार से लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल सकी है। जानकार बताते हैं कि विभाग द्वारा जलमीनार के निर्माण के साथ-साथ पूरे बाजार क्षेत्र में जलापूर्ति के निहित भूमिगत पाईप भी बिछाई गई थी। परन्तु एसएच 91 के निर्माण के क्रम में अधिकांश जगह पाईप समेत टोटी भी सड़क के नीचे दबा दी गई। जिस कारण भविष्य में भी उक्त पाईप के माध्यम से जलापूर्ति हो पाने को ले संशय की स्थिति बनी हुई है। वहीं जलमीनार संयंत्र में लगाये गये लाखों रुपये की आधुनिक पम्प व मशीनें खुले आसमान के नीचे जंग खा रही है। वहीं विभागीय उदासीनता के कारण जगह-जगह सड़क किनारे लगाये गए स्टैंड पोस्ट भी जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं।
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नहीं मिल पा रहा शुद्ध पेयजल
कुसहा-त्रासदी के उपरांत आसपास के जगहों पर भूमिगत जल काफी दूषित हो चुका है और लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध न होने की स्थिति में मजबूरन दूषित पानी पीने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। दूषित व आयरन युक्त पानी पीने की वजह से लोग प्राय: गैस, डायरिया, हेपेटाइटिस समेत अन्य प्रकार की पेट की बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। इसे विडम्बना ही कहें कि पानी के मामले में समृद्ध माने जाने वाले कोसी के इस इलाके के लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए बाजार से प्यूरीफाईड वाटर खरीद कर पीने को विवश हैं।
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काम नहीं आ सका मिनी वाटर प्लांट
प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में स्थापित सोलर उर्जा से संचालित मिनी वाटर प्लांट का लाभ भी लोगों को नहीं मिल पा रहा। पंचायत के प्रभावशाली लोगों द्वारा उक्त प्लांट को अपने दरवाजे अथवा घर के आस पास लगवाकर लगभग निजी प्रापर्टी के तौर पर ही उसका उपयोग किया जा रहा है। वहीं इस सन्दर्भ में विभाग द्वारा बिल्कुल उदासीनता बरती जा रही है। यहां यह भी बताना लाजिमी है कि लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना सूबे के मुखिया के सात महत्वपूर्ण निश्चयों में शामिल है। ऐसे में विभागीय पदाधिकारियों की अनदेखी उनके संकल्प को मुंह चिढाने जैसा है।