मुद्दा:::: भेंगा धार पर पुल नहीं रहने से परेशानी, बेकार बनी सड़क
चुनाव की तारीख ज्यों-ज्यों निकट आती जा रही है सारा सिस्टम चुनावी मोड में आता जा रहा है। हर बैठक चौपाल में देश की अंदरुनी नीति विदेश नीति अतीत की स्थिति वर्तमान हालात सब पर तर्कसंगत चर्चा। प्रधानमंत्री से लेकर अपने क्षेत्र के प्रतिनिधि तक की पूरी समीक्षा से भी बाज नहीं आ रही जनता। पुलवामा की घटना से बात शुरु होती है और अभिनंदन पर खत्म। अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का पूरा पोस्टमार्टम। मोदी का ओजराहुल के बोलदीदी के तेबरतेजस्वी के तेज यानी सब पर बहस
संवाद सूत्र, प्रतापगंज(सुपौल): प्रखंड क्षेत्र के पंचायतों का एक ऐसा हिस्सा जहां दो पंचायतों के लोगों के लिए यातायात को सुगम बनाने हेतु दोनों पंचायतों के मध्य से गुजरने वाले भेंगा नदी पर वर्षो पूर्व जब पुल थी उस वक्त दोनों किनारों पर स्थित क्षेत्र के लोगों के लिए पक्की सड़क का अभाव था। अब जबकि उक्त नदी के पूर्वी तटबंध तक गोविन्दपुर पंचायत के कौआखोनी गांव एवं पश्चिमी तटबंध तक श्रीपुर पंचायत के सितुहर गांव के बीच वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री सड़क योजनान्तर्गत करोड़ों की लागत से सड़क तो बनवाई गई लेकिन पुल का अभाव है। नई इस सड़क के बनने से पूर्व उक्त नदी पर बना लकड़ी का वह पुल सड़क के अभाव की वजह से धीरे-धीरे शरारती तत्वों व स्थानीय दबंगों की भेंट चढ़ चुका था। पुल के बचे अवशेष के रूप में लकड़ी के पाईलिग की भी संबंधित विभाग द्वारा विगत कुछ माह पूर्व नीलामी करवा दी गई। अब तो उक्त जगह पर पुल के होने का नामोनिशान भी समाप्त हो चुका है। खैर लकड़ी के उक्त पुल का पुन: निर्माण तो होना भी नहीं था। बनाई गई सड़क भी धीरे-धीरे जर्जर होने के कगार पर पहुंच चुकी है। लेकिन इतने अर्से बाद तक उक्त स्थल पर एक अदद पुल का निर्माण नहीं करवाया जा सका। पुल के अभाव में दोनों किनारों के कई गांवों की बड़ी आबादी को घोर कठिनाईयों से जूझना पड़ रहा है। जब नदी के दोनों किनारों तक सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था उस वक्त लोगों में क्षेत्र के विकास को ले एक नई उम्मीद दिख रही थी। उन्हें लग रहा था कि अब वह दिन दूर नहीं जब उनके गांवों से होकर गुजरने वाले इन सड़क मार्गों से विभिन्न दिशाओं की ओर छोटी-बड़ी सवारी गाड़ियां भी गुजरेगी। लेकिन लोगों का यह सपना दिवास्वप्न ही बनकर रह गया। ये तो सिर्फ उदाहरण मात्र हैं। ऐसे सड़क प्रखंड क्षेत्र में ओर भी कई है, जहां पुल के अभाव में लोगों को घोर कठिनाइयों से जूझना पड़ रहा है। पुल निर्माण को ले क्षेत्र की जनता ने विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कई बार ध्यान आकृष्ट कराया। सिवाय आश्वासन के आज तक कोई फलाफल नहीं निकला।