..यहां सेविका चयन में पहले से ही होता रहा है फर्जीवाड़ा
-कोट -पूर्व से कार्यरत सेविका-सहायिका के प्रमाण पत्रों को शीघ्र सत्यापन कराया जाएगा। काया
-कोट
-पूर्व से कार्यरत सेविका-सहायिका के प्रमाण पत्रों को शीघ्र सत्यापन कराया जाएगा। कार्यालय अभिलेख में जो कागजात जमा है उसमें कहीं से भी बदलाव संभव नहीं है। कार्यालय में उपलब्ध कागजातों का ही सत्यापन होगा। नव चयनित सेविकाओं में से जिनके भी प्रमाण पत्र फर्जी मिले हैं उनके बारे में अभी लिखित जानकारी नहीं मिली है। जिला कार्यालय से आदेश मिलते ही जाली प्रमाण पत्र धारी सेविकाओं का चयन रद्द करते उसके खिलाफ थाना में मामला दर्ज करा दिया जाएगा।
अर¨वद कुमार
बीडीओ सह प्रभारी सीडीपीओ
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-नव चयनित 22 सेविकाओं में से 15 का प्रमाण पत्र जाली मिलने से चर्चा का बाजार गर्म
-पहले से कार्यरत सेविका-सहायिका के प्रमाण पत्र के सत्यापन की उठने लगी मांग
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संवाद सूत्र, सरायगढ़(सुपौल): बाल विकास परियोजना के तहत रिक्त पड़े आंगनबाड़ी केंद्रों पर सेविका-सहायिका चयन में सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र में पहले से ही फर्जीवाड़ा होता रहा है। पूर्व में उजागर फर्जीवाड़े में कुछ सेविकाओं का चयन भी रद्द किया गया है। लेकिन इसके बाद भी कई सेविका-सहायिका है जिसके प्रमाण पत्र के सत्यापन नहीं होने से उस पर सवाल उठने लगे हैं। करीब 4 माह पूर्व प्रखंड क्षेत्र में 38 जगहों पर चयन किए गए सेविकाओं में से अब तक 22 सेविकाओं के प्रमाण पत्र के सत्यापन में 15 का प्रमाण पत्र फर्जी मिलने से लोग हैरत में हैं। प्रखंड क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि पूर्व से कार्यरत सेविका-सहायिका के प्रमाण पत्रों का अबतक सत्यापन नहीं होना विभागीय मिलीभगत को दर्शाता है। ऐसे लोगों का कहना है कि यदि पहले से कार्यरत सेविकाओं के प्रमाण पत्रों का सत्यापन हुआ होता तो नई सेविकाओं के चयन में इतना बढ़ चढ़कर फर्जीवाड़ा नहीं होता।
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कार्यालय अभिलेख से 40 सेविकाओं का प्रमाण पत्र गायब
प्रखंड क्षेत्र में वर्तमान में कार्यरत 98 सेविकाओं में से मात्र 58 सेविकाओं का ही कोई न कोई कागजात कार्यालय अभिलेख में है। बाल विकास परियोजना कार्यालय द्वारा लिखित रूप में दी गई जानकारी के अनुसार कार्यालय में जिन 58 सेविकाओं का कागजात जमा है वह भी आधा अधूरा है। मिली जानकारी अनुसार कुछ सेविका का सिर्फ हस्तलिखित अंकपत्र जमा है तो कुछ का चयन पत्र ही नहीं मिल रहा है। इसी तरह कुछ सेविका द्वारा अंकपत्र का ही छाया प्रति जमा किया गया है। कार्यालय कर्मी बताते हैं कि अधिकांश सेविकाओं का प्रमाण पत्र कहां है इस बारे में उन्हें को कोई जानकारी नहीं है।
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जिलाधिकारी का आदेश भी ठंडे बस्ते में
जानकारी अनुसार 2 वर्ष पूर्व 2016 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक आदेश जारी कर बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को कार्यरत सभी सेविका-सहायिका का प्रमाण पत्र सत्यापन करा कर इसकी जानकारी जिला कार्यालय को देने को कहा था। लेकिन तत्कालीन बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ने जिलाधिकारी के उस आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया जो अब तक वहीं पड़ा है। इसके बाद बाल विकास परियोजना पदाधिकारी के पद पर अधिकारियों का आना-जाना होता रहा और सत्यापन का मामला अपनी जगह पड़ा रहा।
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पर्यवेक्षिका की भूमिका भी संदेह के घेरे में
पहले से कार्यरत सेविकाओं के प्रमाण पत्र सत्यापन नहीं होने में पर्यवेक्षिकाओं की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। जानकारी अनुसार 2 वर्ष पूर्व जब जिलाधिकारी द्वारा कार्यरत सेविका-सहायिका के प्रमाण पत्र के सत्यापन संबंधी आदेश जारी हुआ था तो कई सेविकाओं द्वारा पर्यवेक्षिकाओं के पास कागजात जमा किए गए। लेकिन पर्यवेक्षिकाओं ने उन कागजात को कार्यालय में नहीं दिया। चर्चा है कि पर्यवेक्षिकाओं सेविकाओं द्वारा जमा किए गए कागजात में गड़बड़ी देख संबंधित सेविकाओं को उसमें सुधार करवाने को कहा और यही एक कारण है कि आज की तिथि में भी पर्यवेक्षिका ऐसे सभी कागजातों को अपने ही पास रखी है।