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आज होगी मां के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा, यश व कृति की करेंगे कामना

वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा की गई।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 06:38 AM (IST)
आज होगी मां के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा, यश व कृति की करेंगे कामना
आज होगी मां के चौथे स्वरूप कुष्मांडा की पूजा, यश व कृति की करेंगे कामना

जासं, सिवान : वासंतिक नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मां दुर्गा के तीसरे रूप चंद्रघंटा की पूजा की विभिन्न मंदिरों व घरों में कलश स्थापन किए भक्तों ने की। इस मौके पर श्रद्धालु अपने घरों में पूजा करने के बाद पूजा सामग्री के साथ मां की पूजा करने उनके दरबार में पहुंचे। या देवी सर्वभुतेषू.. के उद्घोष से वातावरण भक्तिमय हो गया। पूजा स्थलों पर श्रद्धालुओं द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया। आचार्य उमाशंकर पांडेय ने बताया कि चौथे दिन मां कुष्मांडा के रूप में मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। अपनी मंद, हल्की हंसी के द्वारा अण्ड यानी ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इस देवी को कुष्मांडा नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसीलिए इसे सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। सिंह के कंधे पर सवार इस देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। मां के इस रूप की पूजा करने से यश, कृति, जय की प्राप्ति होती है।

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इस दिन भी सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए। तत्पश्चात माता के साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए, इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्माण्डा की पूजा करनी चाहिए। पूजा की विधि शुरू करने से पूर्व हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करना चाहिए तथा पवित्र मन से देवी का ध्यान करते हुए “सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे. ''नामक मंत्र का जाप करना चाहिए।

मां की पूजा कचहरी रोड स्थित दुर्गा मंदिर, बुढि़या माई मंदिर, निबंधन कार्यालय, सलेमपुर, फतेहपुर, स्टेशन रोड, श्रीनगर समेत ग्रामीण इलाकों के महाराजगंज जरती माई मंदिर, दारौंदा की हड़सरी देवी, भगवानपुर की बिठुनदेवी, खेढ़वा माई, बड़हरिया के यमुनागढ़, नौतन के चननियाडीह, नबीगंज के पड़ौली भवानी मंदिर,गुठनी के सोहागरा, चकरी, सिसवन के मेहंदार समेत अन्य मंदिरों में की गई।


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