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पहली कक्षा : पहले दिन था नर्वस, बच्चों को देख मन से निकला डर

मेरी पहली पो¨स्टग वर्ष 2006 में नया प्राथमिक विद्यालय रामपुर में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में हुई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Nov 2018 04:26 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 04:55 PM (IST)
पहली कक्षा : पहले दिन था नर्वस, बच्चों को देख मन से निकला डर
पहली कक्षा : पहले दिन था नर्वस, बच्चों को देख मन से निकला डर

मेरी पहली पो¨स्टग वर्ष 2006 में नया प्राथमिक विद्यालय रामपुर में प्रभारी प्रधानाध्यापक के रूप में पंचायत शिक्षक में हुई। सबसे पहले मुझे पांचवीं कक्षा में बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजा गया। मैंने देखा कि बच्चों को अभी गणित में जोड़ भी नहीं आ रहा था। मैंने उन्हें जोड़ सिखाना शुरू किया। धीरे-धीरे दो-तीन दिनों के बाद बच्चों ने जोड़ बनाकर दिखाना शुरू कर दिया। इसके बाद से यह क्रम लगातार चलता गया जो चीजें बच्चों को समझ नही आ रही थी वह मैंने उन्हें उदाहरण दे देकर सिखाई। योगदान के वक्त मैं थोड़ा नर्वस था कि बच्चों का व्यवहार मेरे प्रति क्या होगा, लेकिन क्लास में जाने के बाद मैंने देखा कि बच्चे पढ़ने में काफी कमजोर हैं एवं काफी छोटे- छोटे बच्चे हैं तो मन से डर निकल गया।

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रवींद्र कुमार चौधरी, सहायक शिक्षक

प्राथमिक विद्यालय घुरघाट मठिया सिसवन (सिवान)


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