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ट्रेड यूनियन के राज्यव्यापी हड़ताल का रहा मिलाजुला असर

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर गुरुवार को राज्यव्यापी आम हड़ताल का मिलाजुला असर जिला मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्रों में देखने को मिला।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 04:43 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 04:43 PM (IST)
ट्रेड यूनियन के राज्यव्यापी हड़ताल का रहा मिलाजुला असर
ट्रेड यूनियन के राज्यव्यापी हड़ताल का रहा मिलाजुला असर

सिवान । केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर गुरुवार को राज्यव्यापी आम हड़ताल का मिलाजुला असर जिला मुख्यालय समेत प्रखंड क्षेत्रों में देखने को मिला। इस दौरान शहर में सफाई मजदूर, रसोइया, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, डाटा ऑपरेटर, मजदूरों सहित संगठित व असंगठित मजदूरों ने आक्रोश मार्च निकालकर विरोध जताया। रसोइया संघ की प्रदेश अध्यक्ष सह जिला परिषद सदस्य सोहिला गुप्ता व सफाई मजदूर सह एक्टू के जिलाध्यक्ष अमित कुमार के संयुक्त नेतृत्व में आक्रोश मार्च निकाला गया। आक्रोश मार्च ललित बस स्टैंड स्थित भाकपा माले जिला कार्यालय से निकालकर गोपालगंज मोड़, पटेल चौक, जेपी चौक, दरबार रोड, अस्पताल मोड़, बबुनिया मोड़ पहुंचकर पुन : थाना चौक होते हुए जेपी चौक पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया।

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वहीं दूसरी ओर संयुक्त ट्रेड यूनियन एवं बिहार अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के मांगों का समर्थन करते हुए बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदर्शन के माध्यम से जिलाधिकारी को 12 सूत्री मांगों का पत्र सौंपा गया। प्रदर्शन का नेतृत्व बिहार चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री विजय सिंह, प्रमंडलीय मंत्री दीनानाथ शर्मा, नगीना चौधरी व रामचंद्र मिश्रा ने संयुक्त रुप से किया। सभा को संबोधित करते हुए सोहिला गुप्ता ने कहा कि ने रिकार्ड तोड़ बेरोजगारी व कमर तोड़ महंगाई, श्रम कोड कानूनों, कंपनी राज-निजीकरण और देश के संसाधनों को बेचने और संविधान व लोकतंत्र पर हमले के खिलाफ आयोजित यह देशव्यापी हड़ताल मोदी सरकार को करारा राजनीतिक जवाब होगा। वहीं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेश मंत्री विजय सिंह ने कहा कि आने वाले दिनों में सम्मानजनक रोजगार और समान काम के लिए समान वेतन की मांगों पर हमारी निर्णायक लड़ाई जारी रहेगी।

बता दें कि हड़ताल के माध्यम से श्रम कानून को समाप्त कर मजदूर विरोधी, किसान विरोधी, लेबर कोर्ट को बदलने के निर्णय को वापस लेने, किसान विरोधी कानून को वापस लेने, स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने, मजदूरों को न्यूनतम वेतन 21000 देने, केंद्र एवं राज्य में समान वेतन देने, महिला और पुरुष मजदूरों को न्यूनतम वेतन देने, नई शिक्षा नीति वापस लेने, रोजगार देने, प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने सहित कई मांगों को पूरा करने की मांग की गई।

बैंककर्मी भी शामिल रहे हड़ताल में :

सिवान : केंद्रीय श्रमिक संगठनों एवं फेडरेशनों के आह्वान पर भारत सरकार के जनविरोधी, मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ यूनाइटेड फोरम ऑफ आरआरबी यूनियन की उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक की इकाई के सदस्य हड़ताल पर रहे। इस बात की जानकारी फेडरेशन के उपाध्यक्ष शिव शंकर प्रसाद यादव ने दी। उन्होंने बताया कि बैकों के निजीकरण पर रोक लगाने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने, लोन डिफॉल्टर पर कड़ी कार्रवाई करने, कॉरपोरेट घरानों के एनपीए ऋण की सख्ती से वसूली करने और जान बूझकर बैंक ऋण अदायगी नही करने वाले के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज करने, बैकों के जमा राशि पर ब्याज दर वृद्धि करने, बैकों मे समुचित नई बहाली करने, एन पी एस रद्द करने तथा पुरानी पेंशन पॉलिसी बहाल करने, दैनिक मजदूरों/ठेका प्रथा पर कार्यरत मजदूरों का स्थायीकरण तथा आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने, 11वां वेतन समझौता पूर्णरूप से ग्रामीण बैकों मे लागू करने तथा ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक को पुनर्जीवित तथा मजबूत करने समेत अन्य मांगों के समर्थन में आम हड़ताल का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि हड़ताल के कारण ग्रामीण बैंक को 1000 करोड़ से अधिक की क्षति हुई है।

सरकार विरोधी नीति के विरोध में एलाआइसी कर्मियों ने किया हडताल :

ऑल इंडिया इम्प्लाइज फेडरेशन और ऑल इंडिया एम्पलाइज एसोसिएशन संगठन के बैनर तले एलआइसी कर्मचारी एक दिन के सांकेतिक हडताल पर रहे। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार हमारी मांगों को नहीं मान रही है। साथ ही वेतन पुनरीक्षण लंबित है, उसे सरकार आज तक पूरा नहीं कर सकी है। हडताल में रवि कुमार सिंह, पंकज कुमार धारी, अनूप कुमार सिंह, तुषार, राज कुमार, केशव कुमार, कन्हैया यादव, धारी शाह, बसंत कुमार, सतीश कुमार मौर्य, रत्नेश, अनुपम आदि शामिल थे।


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