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नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व

सिवान। लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को छठ व्रतियों के नहाय-खाय के स

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 05:49 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 05:49 PM (IST)
नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व
नहाय खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व

सिवान। लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को छठ व्रतियों के नहाय-खाय के साथ व भगवान सूर्य की आराधना के साथ शुरू हुआ। रविवार की सुबह छठ व्रती स्नान कर सात्विक भोजन यथा अरवा चावल का भात, अरहर-चना की दाल तथा लौकी की सेंधानमक युक्त सब्जी तैयार की। तत्पश्चात भगवान सूर्य को जल देकर तथा नमन कर भोजन ग्रहण किया। इसके बाद परिजन और ईष्ट मित्रों ने भी इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। चार दिवसीय महापर्व के दूसरे दिन छठ व्रती रात्रि में भोजन करने के बाद सोमवार को 36 घंटे का निराजल उपवास रहेंगी तथा संध्या समय भगवान सूर्य को जल देकर मिट्टी के चूल्हा पर आम की लकड़ी जलाकर खरना का प्रसाद तैयार करेंगी। वे गेहूं की रोटी, साठी चावल एवं गुड़ से रसियाव तथा फल के साथ खरना करेंगी। इसके पूर्व वे आग पर अगरासन निकाल सूर्य भगवान को नमन करेंगी। छठ व्रतियों के खरना करने के बाद उनके परिजन प्रसाद के रूप में रोटी, रसियाव एवं फल आदि ग्रहण करेंगे। छठ व्रती खरना के बाद पूरी रात एवं दिन निराजल रहेंगी। मंगलवार को अपराह्न तीन बजे से छठ डाला के साथ नजदीक के छठ घाटों पर जाना शुरू हो जाएगा। छठ व्रती मंगलवार को छठ घाटों पर पहुंच अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देंगीं, तत्पश्चात छठ घाटों पर बनी छठ प्रतिमा के पास पूजा

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अर्चना के बाद सूर्यास्त होने पर घर लौट अपने आंगन में कोसी भरने की रस्म अदा करेंगी। आधी रात के बाद छठ घाटों पर परिजनों द्वारा कोसी भरा जाएगा। इसके बाद शुक्रवार की अल सुबह छठ व्रती परिजनों के साथ छठ घाटों पर पहुंच छठ प्रतिमा के पास पूजा अर्चना करेंगी और सूर्योदय होते ही उदीयगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ नमन करेंगी तथा घर-परिवार की सुख, समृद्धि, धन-वंश की वृद्धि एवं स्वास्थ्य लाभ की कामना करेंगी। इसके बाद वे अन्य देवी-देवताओं की भी पूजा कर घर लौटने के बाद पारण कर इस चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन करेंगी।

छठ गीतों से गुलजार हुआ क्षेत्र :

नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ अनुष्ठान शुरू होते ही शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक वातावरण छठमय हो गया है। घरों में, हाट बाजारों, स्टेशनों, बस स्टैंडों आदि जगहों पर छठ गीत बजाए जा रहे हैं। वहीं हाट बाजारों में, बस स्टैंडों एवं स्टेशनों पर कई महिलाएं एवं बच्चियां छठ गीत गाकर छठ के लिए भीख मांगती देखी जा रही हैं।

पूजा को ले बाजारों में बढ़ी चहल-पहल :

लोक आस्था के महान पर्व छठ पूजा को ले जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों के बाजारों में चहल-पहल काफी बढ़ गई है। सुबह से देर शाम तक छठ पूजा सामग्री की खरीदारी को ले लोगों की भीड़ देखी जा रही है। बाजारों में राशन, फल, कपड़ा, श्रृंगार प्रसाधन, डाला, कलसूप, पटाखा, मिट्टी के बर्तन आदि की दुकानें लगी हैं।

एक-दूसरे के प्रति प्रेम एवं सहयोग की भावना बढ़ती है छठ पूजा :

छठ महापर्व समाज में एक-दूसरे के सहयोग तथा भाइचारगी का संदेश देता है। इस व्रत में लोग एक-दूसरे की सहायता में लगे रहते हैं। साथ ही लोग एक साथ मिलकर छठ घाटों की सफाई, मरम्मत, रंगरोगन, छठ घाट जाने वाली सड़कों की सफाई, मरम्मत, सजावट आदि में व्यस्त रहते हैं। इस प्रकार इस पर्व में आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे के सहयोग करने में तत्पर रहते हैं। इस पूजा में आर्थिक एवं श्रम का सहयोग कर अपने को पुण्य का भागी बनाने में लोग पीछे नहीं होते।

रखा जाता है पवित्रता का ख्याल :

इस महान छठ व्रत में लोग पवित्रता का का पूरा ख्याल रखते हैं। सफाई में कोई कमी न हो, कोई त्रुटि न हो, इसका पूरा ख्याल अपने तथा परिजन को रखना पड़ता है। घरों के अलावा आसपास भी सफाई रखी जाती है


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