जलसंकट से जूझ रही जीवनदायिनी दाहा नदी
सिवान भीषण गर्मी और पर्याप्त बारिश नहीं होने के चलते जिले की जीवनदायिनी दाहा नदी वर्तमान समय
सिवान : भीषण गर्मी और पर्याप्त बारिश नहीं होने के चलते जिले की जीवनदायिनी दाहा नदी वर्तमान समय में खुद जलसंकट से जूझ रही है। नदी का पानी आज गंदगी, प्रदूषण तथा संरक्षण के अभाव के कारण दूषित हो गया है। नदी के दोनों किनारों पर अतिक्रमण कर ऊंचे-ऊंचे भवन बनाकर इसके स्वरूप को ही समाप्त कर दिया गया है। इस कारण यह नदी वर्तमान में नाला के रूप में परिवर्तित हो गई है। पूर्व में इस नदी के पानी का उपयोग पीने, नहाने, मवेशियों को पिलाने और खेतों की सिचाई करने के लिए किया जाता था, पर वर्तमान समय में पानी दूषित हो जाने के कारण अनुपयोगी हो गया है। नदी के सौंदर्यीकरण के लिए तो बहुत सारी योजनाएं आई पर वो कार्यालयों के फाइलों में दबी रह गईं, या ऐसा कहें कि वह लोक लुभावने वायदों की भेंट चढ़ गईं है। हालात ऐसे हो गए कि इसका पानी नदी के तल को छू रहा है। गौरतलब हो कि आज से लगभग 40 साल पहले कई घरों के लोग दाहा नदी का पानी पीने के लिए भी उपयोग करते थे, लेकिन अब पानी इस तरह प्रदूषित हो गई है कि पीने की बात तो दूर स्नान करने के लायक भी नहीं है। छह प्रखंडों से होकर गुजरती है यह नदी :
दाहा नदी जिले के छह प्रखंडों क्रमश: बड़हरिया, सदर, हुसैनगंज, हसनपुरा, सिसवन व आंदर प्रखंड से होकर गुजरती है। इन प्रखंड़ों में तो इस नदी का अस्तित्व लगभग खत्म हीं होता दिख रहा है। इसका पानी पूरी तरह से सूख गया है। शहर का गंदा पानी इसी में समाहित हो रहा है। इसके दूषित हो जाने से पर्यावरण पर खतरा और बढ़ गया है। ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में श्रीराम विवाह में बारात जाने के दौरान बारातियों को प्यास लगने पर लक्ष्मण के बाण से नदी उत्पन्न हुई, जिसके कारण इस नदी को बाणेश्वरी नदी भी कहा जाता है। क्या कहते हैं जिम्मेदार :
सरकार की प्राथमिकता नदियों को साफ कर उनको अतिक्रमण मुक्त करना है। नदी को दूषित करने में स्थानीय लोगों का भी दोष है। इसके लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत है। नदी की सफाई जल्द ही करवाई जाएगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। कार्ययोजना के अनुरूप इसका जीर्णोद्धार किया जाएगा। कपिलदेव कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद