शहर में कुकुरमुत्ते की तरह जगह-जगह हैं नॉनबै¨कग कंपनियों की शाखाएं
शहर में एक नॉन बैं¨कग कंपनी द्बारा करीब डेढ़ करोड़ रुपये लेकर भागने ।
सिवान। शहर में एक नॉन बैं¨कग कंपनी द्बारा करीब डेढ़ करोड़ रुपये लेकर भागने के बाद अब शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उगी अन्य नॉन बै¨कग कंपनियों की शाखाओं पर भी प्रश्न चिह्न लग रहा है। इनके द्वारा गरीब, असहाय, ठेला चलाने वाले, फुटपाथ पर छोटी-छोटी दुकान लगाने वालों को ही निशाना बनाया जा रहा है। उल्टी-सीधी बातें समझाकर उनको लोन देकर शोषण कर रहे हैं।
शहर मेँ भारत फाइनेंस, उत्कर्ष फाइनेंस जैसी कई नॉन बैं¨कग कंपनियां चल रही हैं। खासकर इनमें महिलाओं को
ज्यादा प्रश्रय दिया जाता है। 10-10 महिलाओं की टीम का गठन होता है, जो जगह-जगह बैठक कर लोन लेने वाली इच्छुक महिलाओं का आधार कार्ड एवं फोटो लेती हैं, फिर कई फार्म पर हस्ताक्षर कराती हैं। इसके बाद लोन की प्रक्रिया शुरू की जाती है। जिस अभ्यर्थी का लोन होता है, उसको हर सप्ताह अपनी प्रीमियम जमा करनी पड़ती है। इसी लोन देने में पैसों का खेल खेला जाता है।
जांच करने की मांग की
शहर के प्रबुद्ध लोगों ने एसडीओ सहित अन्य अधिकारियों से शहर मेँ चल रहीं नॉन बैं¨कग कंपनियों की जांच कराने की मांग की है।
पूर्व प्रमुख इम्तियाज अहमद, प्रो. सुबोध कुमार ¨सह, मुन्ना कुमार, संतोष कुमार गुड्डू, संजय ¨सह राजपूत, संजय कुमार आदि ने कहा है कि ये कंपनियां बिना रजिस्ट्रेशन के गरीब-असहायों का शोषण कर रही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। बिना रजिस्ट्रेशन के नॉन बैं¨कग को सील किया जाए।