पहला मरीज : पहले मरीज का ऑपरेशन करने में डर गया था
जब मैं 2015 में सदर अस्पताल में ज्वाइन करने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू किया, तब मेरे पास विज्ञान
जब मैं 2015 में सदर अस्पताल में ज्वाइन करने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू किया, तब मेरे पास विज्ञानानंद केंद्रीय विद्यालय चनौर का एक नौ साल का छात्र पहला मरीज के रूप में आया। छात्र को बचपन से ही कान बहने की शिकायत थी। मैंने उसके कान की जांच की। बिना ऑपरेशन के कान का स्थाई इलाज असंभव था। अपने पैतृक जिले के पहले मरीज का ऑपरेशन करने से डर भी लग रहा था। फिर भी मैंने ऑपरेशन किया, जो सफल रहा। इसके बाद दवा कुछ दिनों तक चला। छात्र का कान बिल्कुल ठीक हो गया। उसके परिजनों ने धन्यवाद दिया। इसके बाद से अब किसी भी मरीज के ऑपरेशन में डर नहीं लगता है। मैं चिकित्सक के नाते सामाजिक दायित्व को समझते हुए गरीब, असहाय लोगों के बीच दवा का वितरण, निश्शुल्क जांच शिविर का आयोजन भी करते रहता हूं। भगवान की कृपा से सभी मरीज मेरे मार्क हेल्थ केयर से इलाज करा खुश होकर जाते है।