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खरना के साथ सूर्यषष्ठी व्रत शुरू, छठमय हुआ वातावरण

सिवान। जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में लोक आस्था के महान पर्व छठ को ले लोगों में काफी उत्साह ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 05:09 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 05:09 PM (IST)
खरना के साथ सूर्यषष्ठी व्रत शुरू, छठमय हुआ वातावरण
खरना के साथ सूर्यषष्ठी व्रत शुरू, छठमय हुआ वातावरण

सिवान। जिला मुख्यालय समेत ग्रामीण इलाकों में लोक आस्था के महान पर्व छठ को ले लोगों में काफी उत्साह है। सुबह से देर शाम तक पूजा सामग्री की खरीदारी के लिए ले बाजारों में काफी चहल-पहल देखी गई। इस दौरान राशन, फल, कपड़ा, श्रृंगार सामग्री, पटाखा, मिट्टी के बर्तन, कोसी आदि की दुकानों पर लोगों की भीड़ देखी गई। बाजारों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। चारों तरफ बज रहे छठ गीतों से माहौल पूरी तरह से छठमय हो गया है। सोमवार की शाम छठव्रतियों ने खरना किया। पहला अ‌र्घ्य मंगलवार की शाम को दिया जाएगा। सोमवार की संध्या स्नान के बाद भगवान भास्कर को जल अर्पित करने के बाद मिट्टी के चूल्हा पर आम की लकड़ी जलाकर खरना का प्रसाद तैयार किया गया। गेहूं की रोटी, साठी चावल एवं गुड़ की खीर तथा फल के साथ खरना किया। इसके पूर्व अग्नि देवता को समर्पित कर आगरासन निकाला गया। इस दौरान परिजन द्वारा छठ व्रतियों का अभिवादन कर आशीर्वाद लिया गया। खरना के साथ ही 36 घंटे का छठ व्रत शुरू हो गया। सोमवार की पूरी रात एवं मंगलवार को छठ व्रती निराजल रहेंगे। मंगलवार की दोपहर बाद परिजन के साथ छठ घाटों पर पहुंच अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य दिया जाएगा तथा वहां बनीं प्रतिमाओं के पास पूजा होगी। इसके बाद संध्या समय घर लौटने के बाद घर के आंगन में कोसी भरने की रस्म छठ व्रतियों द्वारा अदा की जाएगी। इसके बाद छठव्रती या परिजन द्वारा छठ घाटों पर भी आधी रात के बाद पहुंच कोसी भरी जाएगी। बुधवार की अल सुबह छठ घाटों पर पहुंचकर छठ प्रतिमाओं के पास पूजा कर उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूरे परिवार की सुख शांति की कामना की जाएगी। तत्पश्चात घर लौटने के बाद अन्य देवी-देवताओं की पूजा कर पारण कर चार दिवसीय छठ महाव्रत का समापन किया जाएगा। इसके बाद परिजन, रिश्तेदारों समेत अन्य संबंधियों में प्रसाद खाने-खिलाने का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

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छठ पूजा में दिखती है शालीनता :

लोक आस्था का महान पर्व छठ पूजा में हर वर्ग में शालीनता दिखती है। छठ पूजा छोटे-बड़े, अमीर-गरीब, जाति-धर्म की खाई को पाटता है। इसमें सभी एक-दूसरे के सहयोग में एक समान दिखते हैं।


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