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जब जब होहि धरम कै हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी..

पुनौराधाम मंदिर में हो रहे श्री रामकथा के तीसरे दिन विद्वान संत कथावाचक गोविद भा

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 11:03 PM (IST)Updated: Sat, 11 May 2019 06:26 AM (IST)
जब जब होहि धरम कै हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी..
जब जब होहि धरम कै हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी..

सीतामढ़ी। पुनौराधाम मंदिर में हो रहे श्री रामकथा के तीसरे दिन विद्वान संत कथावाचक गोविद भाई ने बड़े भाव से राम के जन्म और उनकी बाल लीला का वर्णन किया। गोविद भाई की कथा का आधार तुलसी कृत रामचरितमानस होता है जिनके छंदों को प्रसंगानुसार गाकर रस पैदा कर आनंद की सरिता प्रवाहित करते हैं। आज के प्रसंग प्रस्तुति में राम के जन्म के कई कारण बताए गए विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार व जब जब होहि धरम कै हानि, बाढहि असुर अधम अभिमानी। तब-तब प्रभु धरि विविध सरीरा। हर हिदू कृपानिधि सज्जन पीरा। राम के जन्म के चाहे जितने कारण हो उद्देश्य दुष्टों को दंडित करना और भक्तों को आनंद प्रदान करना ही रहा है। राम कथा की अमृतधारा में सीतामढ़ी के श्रद्धालु श्रोता सराबोर हो रहें हैं। यह माता सीता की ही असीम कृपा है। रामायण जी की पूजा पंडित अवधेश शास्त्री ने नन्द किशोर सिंह से कराया। इस अवसर पर पीपी अरुण कुमार सिंह, त्रिपुरारी प्रसाद सिंह, दिनेशचंद्र द्विवेदी, रामू प्रसाद सिंह, विमल कुमार परिमल, धनुषधारी प्रसाद सिंह, निर्मलचन्द्र ठाकुर, नेहा रानी सहित सैकड़ों स्त्री पुरुष तथा बच्चों राम कथा का रसपान किया।

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