बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तके ब्रजवाला
जैसा कि सभी को पता है जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाई जाती है हर साल इस मास में जन्माष्टमी की धूम रहती है लेकिन इस बार मठ-मंदिरों में विरानगी छाई हुई है।
सीतामढ़ी । जैसा कि सभी को पता है जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाई जाती है, हर साल इस मास में जन्माष्टमी की धूम रहती है लेकिन, इस बार मठ-मंदिरों में विरानगी छाई हुई है। सार्वजनिक तौर पर पूजन समारोह में भाग न लेकर लोग घरों में ही इसकी तैयारी कर रहे हैं। घर-घर बाजे शहनाई, खुशियां ही खुशियां छाई कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी आई जैसे गीत गूंज रहे हैं। आम वो खास सब यह त्योहार मना रहे हैं और इस बार भगवान श्रीकृष्ण से कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की कामना भी कर रहे हैं। झांकियां निकलती थी। हाथी-घोड़े और गाजे-बाजे के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता था। गोशाला परिसर में जन्माष्टमी के अवसर पर हास्य-व्यंग्य कवि सम्मेलन होता था। मेला लगता था। गायों की पूजा होती थी। राधा कृष्ण मंदिर में यादव विचार मंच की ओर से पूजन समारोह का आयोजन होता था। मगर इस बार वैसा कुछ नहीं हो रहा। कोट बाजार निवासी जानकी जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष राधे श्याम शर्मा कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल ने जन्माष्टमी का रंग फीका कर दिया है। हर साल घरों से लेकर मंदिरों तक में की जानेवाली तैयारी में इस बार उत्साह नहीं दिख रहा है। बाजार में भी चमक नहीं दिख रही। वैश्विक संक्रमण के दौर में यह स्वाभाविक भी है कि हम खुद के साथ औरों को सुरक्षित रखते हुए घर में ही भक्तिभाव के साथ भगवान कृष्ण की आराधना करें। घर में ही दूध से बने व्यंजन, पंजीरी और माखन-मिश्री का भोग लगाना श्रेयस्कर होगा। अंचल गली वैदेही वल्लभ निकुंज राम जानकी मंदिर के महंत आचार्य सुमन झा कहते हैं कि मंगलवार को गृहस्थ व बुधवार को साधु-संत समाज जन्माष्टमी मनाएगा। घर-घर प्रभु का वास है। प्रभु भाव से प्रसन्न होते हैं, अत: हम सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए मंदिरों की जगह घरों में मंत्रोच्चार के साथ उनकी पूजा-अर्चना करें।
कहीं आज तो कहीं कल मनाई जाएगी जन्माष्टमी कोरोना के असर की वजह से इस बार सीतामढ़ी गौशाला में भव्य-पूजा व मेले का आयोजन नहीं हो पाएगा। हर साल यहां बाल रूप में कान्हा की विभिन्न रूपों की पूजा होती थी। जिसके दर्शन के लिए हजारों श्रधालु पहुंचते थे। जन्मोत्सव धूमधाम से मनता था। उस दिन अलग ही चहल-पहल होती थी। श्रधालु कान्हा के नन्हे रूप के साथ-साथ गाय की पूजा भी करते क्योंकि, कान्हा को गाय से काफी लगावा था। गौशाला स्थित मंदिर के पुजारी गणेश झा ने बताया कि उनके साठ साल की उम्र में ऐसा विकट माहौल पहली बार देखने को मिला है। जिस वजह से इस साल पूजा पाठ भी ठीक ढ़ंग से नहीं हो पा रहा। साधारण ढंग से गौशाला में मौजूद 145 गायों के साथ कान्हा के नन्हें रूप की पूजा विधि पूर्वक करने की तैयारी की गई है। खेमका कॉलोनी स्थित श्री श्याम मंदिर व गुदरी रोड राम विलास मंदिर के मीडिया प्रभारी राजेश सुंदरका ने बताया कि उन दोनों जगहों पर मंगलवार को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। श्री दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में मंगलवार को तथा सीतामढ़ी गौशाला व मेन रोड स्थित राधा कृष्ण मंदिर, पुनौराधाम जानकी मंदिर व जानकी स्थान जानकी मंदिर में बुधवार को पूजनोत्सव होगा। इन मंदिरों में किसी को आमंत्रित नहीं किया गया है। जो श्रद्धलु-भक्त उपस्थित रहेंगे उन्हें मास्क लगाना और शारीरिक दूरी का पालन करना अनिवार्य होगा। वैसे ही श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाएगा।
साज-सज्जा को लेकर खूब हुई बिक्री श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्री कृष्ण के बाल रूप वाली मूर्ति के अलावा साज-सज्जा सामग्री की बिक्री तेज हो गई है। कोट बाजार खेमका कॉलोनी स्थित बाल गोपाल प्रतिष्ठान में श्रीकृष्ण की अष्टधातु की मूर्ति 200 से 11 सौ रुपये, काट का झूला डेढ़ सौ से 900 रुपये, पोशाक 25 से 600 रुपये, मुकुट 10 से 500 रुपये तक की रेंज में बिक रहा है। इसके अलावा आभूषण, खिलौना, मोर, पंख, पंखा, कंबल, रजाई आदि की बिक्री हो रही है। संचालिका ज्योति सुंदरका ने बताया कि लोग खरीदारी करने के लिये पहुंच रहे है। लोगों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर उत्साह है।
फलों के दाम में उछाल
श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर शहर में फलों के दाम में उछाल आ गया है। खासकर केला, सेव, नाशपाती, खीरा के दाम में उछाल रहा। बाजार में गुरुवार को केला 30 से 80 रुपये, सेव 140 रुपए, नाशपाती 80 तथा खीरा 40 से 80 रुपए प्रति किलो की दर से बिका। इसमें सबसे अधिक खीरा के दाम में बढ़ोतरी रही। अन्य दिनों में 30 रुपये किलो बिकने वाला खीरा अभी 50 रुपए तक के भाव में बिक रहा है। इसके अलावा दूध की भी एडवांस बुकिग हुई।
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