आज हनुमान जयंती है, ऐसा लगता है सारे संसार में मस्ती है ..
शहर के महावीर स्थान स्थित दक्षिणमुखी सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर में दो दिवसीय श्री हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार से शुरू हुआ।
सीतामढ़ी। शहर के महावीर स्थान स्थित दक्षिणमुखी सिद्धपीठ श्री हनुमान मंदिर में दो दिवसीय श्री हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार से शुरू हुआ। इस अवसर पर सुबह मंदिर परिसर से निशान (ध्वज) शोभा यात्रा निकाली गई। सुसज्जित शोभा यात्रा में भक्त मुख्य निशान लेकर आगे आगे चल रहे थे। जबकि हनुमान भक्तों ने अपने आराध्य के श्री चरणों में 1100 निशान अर्पित किया। निशान यात्रा से पूर्व सभी निशानों की पूजा व आरती की गई और सभी भक्त निशान लेने से पूर्व श्री राम का पट्टा व श्री हनुमान का बैच लगाकर सुसज्जित हो गए थे। यात्रा में पालकी पर हनुमानजी की प्रतिमा, रथ पर श्री राम दरबार और दक्षिणमुखी हनुमान का स्वरुप अनोखी छटा बिखेर रहा था। वहीं यात्रा मार्ग में जय श्री राम - जय श्री राम के जयघोष से श्रद्धालु भाव विभोर हो रहे थे। यात्रा मार्ग में भक्त हनुमान, श्री राम, सीता, महादेव व पार्वती के स्वरूप में कलाकारों द्वारा भाव नृत्य एवं 'आज हनुमान जयंती है, ऐसा लगता है सारे संसार में मस्ती है , ' श्री राम जानकी बैठे है मेरे सीने में, ' दुनिया चले ना श्री राम के बिना, राम चले ना हनुमान जी के बिना ' छम छम नाचे वीर हनुमाना' जैसे भक्ति गीतों से सम्पूर्ण नगर गुंजायमान होकर सीता नगरी हनुमानमय हो गई। निशान यात्रा का केन्द्र केवल पुरुष भक्त ही नहीं, बल्कि महिलाओं, युवतियों व बच्चे भी श्री हनुमान निशान के साथ झूमते गाते दिखाई दे रही थे। यात्रा मंदिर प्रांगण से निकलकर रतन चौक, जानकी मन्दिर, सोनापट्टी, विजय शंकर चौक, गांधी चौक, सिनेमा रोड, गुदरी बा•ार रोड, कोट बा•ार का परिभ्रमण कर वापस हनुमान मंदिर लौट गयी यात्रा मार्ग में श्रद्धालुओं ने जगह जगह अपने घरों की छतों से पुष्प वर्षा कर शोभा यात्रा का स्वागत किया. श्री दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर के मीडिया प्रभारी राजेश कुमार सुन्दरका ने कहा कि यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं के बीच विभिन्न स्थानों पर नगर वासियों ने शीतल पेयजल, कोल्ड ड्रिक आदि का वितरण किया । निशान यात्रा के बाद श्री हनुमान के श्री चरणों में निशान अर्पित कर सभी श्रद्धालु निशान अपने साथ प्रसाद के रूप में ले जाकर अपने अपने घरों की छतों की मुंडेर पर ध्वज के रूप में स्थापित कर लिया। शोभा यात्रा में सैंकड़ो की संख्या में स्त्री पुरुष बच्चे शामिल थे।