हृदय में प्रेम को उतारना ही जन्माष्टमी : संत अभेद प्रकाशानंद
डुमरा प्रखंड के जानकी कुटी आश्रम आजमगढ़ में रविवार को धूमधाम से जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया।
सीतामढ़ी। डुमरा प्रखंड के जानकी कुटी आश्रम आजमगढ़ में रविवार को धूमधाम से जन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर भजन-कीर्त्तन का आयोजन किया गया। संत अभेद प्रकाशानंद ने कृष्ण जन्मोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हृदय में प्रेम को उतारना ही जन्माष्टमी है। हृदय का प्रेम बूढ़ा नहीं होता है। हृदय में जो प्रेम है वही गोपी-कृष्ण है। उसे ही अपने अंत:मन में उतारें। जब भी हृदय में गोपी-कृष्ण को देखेंगे प्रेम का भाव पैदा होगा और ज्योंहि बाहर देखेंगे तो कृष्ण अर्जुन का भाव पैदा होगा जो महाभारत कराएगा। कंस- देवकी प्रेम पर प्रकाश डालते हुए जब तक कंस के हृदय में कृष्ण-बलराम के भाव का प्रेम था वह अपनी चचेरी बहन देवकी को भी सगी बहन की तरह भाव रखता था। लेकिन जैसे ही पूर्व जन्म के पाप कर्म की वजह से आकाशवाणी से पता चला कि देवकी का आठवां पुत्र उसका संहार करेगा वह देवकी का दुश्मन बन गया। संत ने कहा कि बाहर की बात न सुनें बाहरी बातों से मन में द्वेष पैदा होता है। अंत:मन की बात को सुने और अमल करें। हृदय का कृष्ण प्रेम दिलाएगा जो जीवन में आनंदायक होगा। संसार में दो ही रिश्ते हैं। जो जीवन को सुखमय बना सकते हैं। एक माता-पिता का दूसरा गुरु का रिश्ता है। गुरु ज्ञान देकर जीवन के अंधकार को दूर कर प्रकाश का मार्ग प्रशस्त करता है। जबकि माता-पिता देह देकर जीवन देते हैं। इन दोनों रिश्तों का ही सुनें तीसरे रिश्ते का ज्यो¨ह सुनेंगे जीवन में अशांति मिलेगी। भगवान परमसत्ता, भागवत व कृष्ण होता है। भगवत प्रेम में अगर उतर गए तो मौत का भी भय और कष्ट नहीं होता है। मौके पर रामाधार ¨सह, रामप्रबोध ¨सह, संतोष मिश्रा, रामकृपाल मिश्र, साधना कुमारी, विपिन कुमार, मुकेश ¨सह बेली, नवनीत झा, काली ¨सह, अशोक यादव, अशोक कुमार मिश्र, बलराम मिश्र, रामप्रवेश, धीरेंद्र ¨सह, विनोद ¨सह व मंटू ¨सह सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए। इस अवसर पर भंडारा का आयोजन किया गया।