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नवरात्र में बिगड़ा रसोई का जायका, सब्जी मंडी में भाव में लगी आग

सीतामढ़ी। फिल्म पीपली लाइव का वह गीत महंगाई डायन सबकी जुबां पर आज भी है। सामाजिक-आर्थिक समस्या महंगाई से त्रस्त एक आम आदमी का दर्द था जो गीत बन गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 11:14 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 11:14 PM (IST)
नवरात्र में बिगड़ा रसोई का जायका, सब्जी मंडी में भाव में लगी आग
नवरात्र में बिगड़ा रसोई का जायका, सब्जी मंडी में भाव में लगी आग

सीतामढ़ी। फिल्म 'पीपली लाइव' का वह गीत 'महंगाई डायन' सबकी जुबां पर आज भी है। सामाजिक-आर्थिक समस्या 'महंगाई' से त्रस्त एक आम आदमी का दर्द था जो गीत बन गया। महंगाई की मार सबसे ज्यादा किचन पर पड़ती है और उसको संभालने वाली महिलाओं के उस दर्द को शब्दों में कुछ इस कदर पिरोया गया की सबकी जुबां पर आसानी से चढ़ गया-सखी सईंया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाये जात है..! नवरात्र में रसोइ का जायका भी महंगाई की मार से कुछ इस कदर बिगड़ गया है कि आम आदमी की थाली से सब्जी गायब होने लगी है। प्याज की कीमत एक हफ्ते पहले तक 25 से 30 रुपये किलो थी, अब 10 रुपये प्रति किलो बढ़ गई है। आलू भी महंगा हो गया है। अन्य हरी सब्जी की बात करें तो परवल 60-70 रुपये, बैगन 40-50 रुपये, भिडी 40-50 व नेनुआ 40 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है। कल तक सब्जी दुकानदार जिस हरी मिर्च को सब्जियों के साथ मुफ्त में डाल दिया करते थे, वो भी 100 रुपये किलो हो गया है। दैनिक मजदूरी कर दिहाड़ी कमाने वालों की रोज की आमदनी राशन व सब्जी खरीदने में ही चली जाती है, इतनी महंगी सब्जी वह कहां से खरीदेगा। कुल मिलाकर सब्जियों की बढ़ी कीमतों से आम आदमी के खाने के लाले पड़े हुए हैं।

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नवरात्र शुरू होने के पहले से सब्जी व फलों के दाम बढ़े

नवरात्र शुरू होने के पहले से सब्जी के साथ फलों के भाव आसमान छूने लगे हैं। आम आदमी बेहाल-परेशान है। टमाटर और प्याज के भाव में उछाल तो अब देशभर की समस्या हो चली है, लेकिन आम सब्जी भी काफी महंगी बिकने लगी है। प्रतापनगर के शिक्षक उदयनारायण सिंह कहते हैं-सब्जी मंडी में भाव में आग लग गई है। थोक में भी भाव कम नहीं हो रहा। चौक-चौराहों पर और ठेले-खोमचे में कम मात्रा में सब्जी होने के कारण महंगी बिकती ही है, मंडी जाने पर भी राहत नहीं है। सब्जी बेचने वालों की दलील है कि उत्पादन कम और डिमांड ज्यादा होने से स्वाभाविक है महंगाई बढ़ेगी। सीतामढ़ी गुदरी बाजार के एक दुकानदार का कहना था कि हर आदमी उपभोक्ता है, उत्पादक एक हजार की आबादी पर कोई एक-दो है। उत्पादक किसान भी क्या करे। खाद-बीज और खेती-किसानी सब महंगाई की मार से त्रस्त है। लागत मूल्य के साथ कुछ लाभ न निकले तो कोई खेती-बारी क्यों करेगा। इसलिए भाव बढ़ाने के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं है। सरकार को इसपर सोचना चाहिए। सरकार की उदासीनता का कोपभाजन आम आदमी को भी बनना पड़ता है। सब्जी व फलों के दाम में आसमान छूने के लिए सरकारी व्यवस्था ही जिम्मेवार है। एक गृहिणी रमा देवी का कहना है कि एक तो बरसात में महंगाई झेलनी पड़ी यह कहकर कि आवक प्रभावित है तथा पानी में सब्जियां खराब हो रही हैं, लेकिन अब सूखा पड़ने पर भी वहीं हाल है। गुदरी में सब्जियों के कीमत- सब्जी भाव प्रति किग्रा

आदि 80 रुपये

हरि मिर्च 100 रुपये

टमाटर 60-70 रुपये

शिमला मिर्च 200 रुपये

गाजर 80 रुपये

खीरा 50 रुपये

चुकंदर 40 रुपये

धनिया 300 रुपये

गोभी 80 रुपये

बंदं गोभी 40 रुपये

ओल 60 रुपये

मूली 80 रुपये

परवल 60-70 रुपये

नींबू 10 में दो

लौकी 40-50 रुपये

मशरूम 200 रुपये

इमली 100-120 रुपये

लहसुन 60 रुपये

प्याज 40 रुपये

आलू 20 रुपये

बीन्स 200 रुपये

----------------------------- कारगिल चौक पर फलों के भाव

फल भाव प्रति किग्रा

अनार 120 रुपये

सेब 100 से 125 रुपये

अनानास 70 से 80 रुपये

तरबूज 50 रुपये

संतरा 70 रुपये

नारियल 50 से 60 रुपये

मौसमी 70 से 80 रुपये

केला 50 रुपये

पपीता 40 रुपये

पानीफल 55 रुपये

खरबूज 120 रुपये

अमरुद 100 रुपये


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