पुल-पुलिया और सड़क की बदहाली पर आक्रोश, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि के विकास की उठी मांग
एक आम आदमी मतदान केंद्रों पर मतदान करने बड़े उत्साह के साथ जाता है। मतदान के दौरान उसके दिल में अपने इलाके के विकास के सपने तैरते रहते है।
सीतामढ़ी। एक आम आदमी मतदान केंद्रों पर मतदान करने बड़े उत्साह के साथ जाता है। मतदान के दौरान उसके दिल में अपने इलाके के विकास के सपने तैरते रहते है। वह दिल से मतदान कर लोकतंत्र का महापर्व मनाता है। लेकिन मतदान के बाद वह अपने उसी दिल पर पत्थर रख लेता है। वजह उसने जिस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया था, वह पांच साल तक उससे पूछने तक नहीं आता है कि उसका हाल क्या है? नेताओं की बेपरवाही की यह कोई नई कहानी नहीं है। यह दशकों से चली आ रही परम्परा है। नेताओं की बेपरवाही का ही आलम है कि इलाका विकास से अनजान रह जाता है। लोग अपनी समस्याओं के बीच घिर कर रह जाते है। एक बार फिर चुनाव का मौसम आ गया है। अब जनता की बारी है। इस बार जनता विकास के मुद्दों पर वोट करने वाली है, साथ ही वोट की चोट से बेपरवाह नेताओं की क्लास लगाने की तैयारी में है। गांव-समाज में लोग चर्चा कर रहे है कि किसे वोट करे। नेताओं के काम-काज का आकलन कर रहे है। अपने क्षेत्र की समस्याओं को उठा रहे है। संसाधन सीमित है और समस्याओं का अंत नहीं है। आज भी आम आदमी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद, गरीबी और बेरोजगारी जैसे समस्याएं बरकरार है। स्थानीय स्तर पर जातिवाद, अपराध, नक्सलवाद और सम्प्रदायवाद की समस्या लोग झेल रहे है। गरीबी, अशिक्षा और भ्रष्टाचार बरकरार है। शिक्ष और स्वास्थ्य का बुरा हाल है। अब भी पुल-पुलिया और सड़क की बदहाली लोगों के जख्मों को कुरेद रही है। बेरोजगारी की लंबी फौज खड़ी है। किसानियत खतरे में है। उद्योग जैसी चीज नहीं है। व्यवसाय चौपट होकर रह गया है। आखिर इन समस्याओं के लिए जिम्मेदार कौन? कैसा हो हमारा सांसद, हमारी समस्याओं का समाधान कैसे हो और क्या है वोटरों की समस्या? इन सवालों के जवाब के लिए दैनिक जागरण ने गुरुवार को सीतामढ़ी शहर से सटे दोस्तपुर खैरवी स्थित प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान एसके ट्यूटोरियल में चुनावी चौपाल लगाई। चौपाल में लोगों ने राष्ट्रीय क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दों पर बेबाकी से राय रखी। लोगों ने ज्वलंत मुद्दे उठाए और निदान की मांग की। साथ ही कहा कि हमारा प्रतिनिधि इलाके के विकास के प्रति समर्पित और ईमानदार होना चाहिए। जनता के दुर्ख-दर्द को बांटने वाला होना चाहिए। एसके ट्यूटोरियल के प्राचार्य शिवजी प्रसाद ने सीतामढ़ी-सुरसंड एनएच 104 की बदहाली पर आक्रोश जताया। कहा कि यह आम जनता से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन इसे नहीं उठाया जाता है। सीतामढ़ी से सुरसंड जाने में इस सड़क के सफर में अंतहीन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शहर से सटे मोहनपुर में दशकों से पुल जर्जर है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि देश में जितनी मौतें आतंकवाद से नहीं होती है उससे कही अधिक मौत सड़क हादसों में होती है। बावजूद इसके सरकार बेपरवाह है। कहा कि गोबरहिया पुल दशकों से जर्जर है। इस पुल के मरम्मत पर जितने रुपये खर्च किए गए है, उससे कई पुल का निर्माण हो जाता। सहियारा निवासी अरविद कुमार ने गांव में पुल नहीं बबने, सड़कों की बदहाली और स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाया। गीतकार गीतेश ने कहा कि हमारे नेता वैसे ही मुद्दों को उठाते है जो उनके स्वार्थ से जुड़ा होता है। हमारा नेता निस्वार्थ भाव वाला होना चाहिए। बखरी पंचायत के मधुबनी गांव निवासी संजय कुमार यादव ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पुल की हालत खराब है। अब तक जिले में जिला स्तरीय अस्पताल की स्थापना नहीं हो सकी है। जिले में आइटीआई के अलावा कोई तकनीकी शिक्षण संस्थान नहीं है। मेहसौल में आरओबी के नहीं बनने से जाम झेलना पड़ता है। किसान बदहाल है। सुरेंद्र प्रियदर्शी ने कहा कि वर्तमान दौर में नेता जनता की सेवा के लिए नहीं बल्कि स्वार्थ सिद्धि के लिए चुनाव लड़ते है।
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बोले लोग :::::
आवश्यकताएं अनंत है, संसाधन सीमित है। सड़क और पुल पुलियों की हालत खराब है। बरियारपुर हाईस्कूल से किसान कॉलेज तक सड़क जर्जर होकर रह गया है। सीतामढ़ी-सुरसंड हाईवे हादसों का हाईवे बन गया है। आदर्श गांव बरियारपुर का बुरा हाल है। मोहनपुर पुल को बचपन से अब तक जर्जर ही देखा है। किसान लाचार है। कृषि व्यवस्था बदहाल है। न सिचाई की व्यवस्था है और नहीं किसानों को कृषि योजनाओं का लाभ ही मिल पा रहा है। बाजार की व्यवस्था नहीं है। बाजार के अभाव में किसान औने-पौने में अपनी फसल बेचने को विवश है। शिक्षा का बुरा हाल है। जीतने के बाद पांच साल बाद नेता के दर्शन होते है। चुनाव में 70 लाख खर्च करना है। लेकिन क्या दस करोड़ से कम कोई नेता खर्च करता है:- चंदेश्वर प्रसाद राय, सेवा निवृत अधिकारी।
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जिले में सड़क और पुल पुलियों का बुरा हाल है। सीतामढ़ी-सोनबरसा फोर लेन सड़क अब तक टू लेन में ही सिमट गया है। सड़क पर रोशनी की व्यवस्था नहीं है। मुजपवऊ्फरपुर-देकुली हाईवे का निर्माण एनओसी नहीं होने के चलते अटका है। हमारे नेता उन्हीं सड़कों को बनाते है जिसमें उनका पर्सनल इंटरेस्ट होता है। आम जनता के इंटरेस्ट से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है। चुनाव जीतने के बाद नेता सार्वजनिक हित की बली लेते है। कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। अब माओवादी को अपराधी बना दिया गया है। सीतामढ़ी को पर्यटक स्थल का दर्जा नहीं मिल सका है। हमारा जिला ओडीएफ घोषित हो गया है, लेकिन गंदगी बरकरार है। अब तक गरीबों को शौचालय निर्माण की राशि नहीं मिली है। इलाके में शिक्षा की सरकारी व्यवस्था बदहाल है : सरोज कुमार, अधिवक्ता।
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प्रतिनिधि चुन कर जाते है तो व्यस्त हो जाते है। उनके पास आम जनता के लिए समय नहीं रह जाता है। ऐसे में लोगों की समस्याएं बरकरार रह जाती है। डीएवी सड़क बदहाल है। न जन प्रतिनिधि और नहीं लोक सेवक का इस ओर ध्यान है। जिले में शिक्षा का बुरा हाल है। उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए युवाओं को भटकना पड़ता है। स्कील डेवलपमेंट के नाम की व्यवस्था फ्रेंचाइजी को दी गई है जो केवल सर्टिफिकेट बांटते है। उन्हें रोजगार देने की व्यवस्था तक नही है। जलजमाव, अतिक्रमण और गंदगी अब भी बड़ी समस्या बन कर रह गई है। कृषि की व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए। इलाके के विकास के लिए उद्योगों की स्थापना जरुरी है : प्रो. रमेश कुमार, प्राध्यापक, बुद्धा बीएड कॉलेज।
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शिक्षा के जरिए ही समाज का विकास संभव है। आधारभूत संरचना का अभाव है। स्कूलों में न्यूनतम शिक्ष स्तर की व्यवस्था नहीं है। विद्यालय अब भोजनालय बन कर रह गए है। एचएम बच्चों के लिए दाल-चावल की व्यवस्था में लगे रहते है और बच्चों का ध्यान भोजन पर होता है। भोजन मिलते ही बच्चे घर चले जाते है। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रायसों पर पानी फिर रहा है। पहले समय पर बच्चों को किताबें नहीं मिली। अब किताब का पैसा अभिभावक के खाते में जा रहा है। उस पैसे को अभिभावक निजी र्ख्च में उड़ा दे रहे है : एसके सुमन, निदेशक, एसके ट्यूटोरियल।
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भ्रष्टाचार के चलते विकास प्रभावित हो रहा है। तमाम विभाग भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। इलाके में रोजगार की व्यवस्था नही है। तेजी से लोग पलायन कर रहे है। कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य का बुरा हाल है। जल जमाव और अतिक्रमण बड़ी परेशानी है। अपराध मुक्त समाज का निर्माण कराना जरूरी है। सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को भी किताब पढ़ने का ज्ञान नहीं है। जनता परेशान है, कोई देखने-सुनने वाला तक नहीं है। वैसे प्रत्याशी को चुनना चाहिए जो इलाके का विकास कराए, आम आदमी का दर्द समझे : नईम अंसारी।
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अतिक्रमण, जलजमाव, सड़क, पुल-पुलिया और किसानों की हालत बदहाल है। मेहसौल में सालों से आरओबी का निर्माण लंबित है। इसके चलते शहर में जाम लगता है। एम्बुलेंस के गुमटी पर फंसने के चलते कई मरीजों की मौत हो चुकी है। कई पुल-पुलियों का निर्माण नहीं हो सका है। सड़कें जर्जर होकर रह गई है। सरकार योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उसका सही तरीके से कार्यान्वयन नहीं हो पाता है। अस्पतालों की हालत खराब है। शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है। सरकार ने अनाज की कीमत तय कर दी है, लेकिन व्यवस्था नहीं है। इसका लाभ बिचौलिए उठा रहे है :- डॉ. प्रदीप नारायण यादव, सेवा निवृत पशु चिकित्सक। ।