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निरंतर अभ्यास से जीव विज्ञान में सफलता संभव

मैट्रिक की परीक्षा की तिथि नजदीक आ रही है तो परीक्षार्थियों को चिता सताने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 01:02 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 01:02 AM (IST)
निरंतर अभ्यास से जीव विज्ञान में सफलता संभव
निरंतर अभ्यास से जीव विज्ञान में सफलता संभव

सीतामढ़ी। मैट्रिक की परीक्षा की तिथि नजदीक आ रही है तो परीक्षार्थियों को चिता सताने लगी है। कम समय में कैसे करें तैयारी, कौन सी किताबें पढ़े, कितने घंटे पढ़े आदि सोच कर परेशान हो रहे हैं। दैनिक जागरण ने कॅरियरशाला शुरू की है। सोमवार को जीव विज्ञान विषय के विशेषज्ञ अभय कुमार झा ने मैट्रिक के परीक्षार्थियों को सफलता के कई टिप्स दिए। प्रस्तुत है एक्सपर्ट द्वारा दिए गए टिप्स के मुख्य अंश::

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जीव विज्ञान में निरंतर अभ्यास जरूरी

मैट्रिक की परीक्षा में जीव विज्ञान विषयों की तैयारी के लिए निरंतर अभ्यास अति आवश्यक है। जीव विज्ञान में कुल 30 अंकों के प्रश्न पूछे जाते हैं। जिसमें वस्तुनिष्ठ 16 नंबर के 16 प्रश्न पूछे जाएंगे। 8 अंक के 4 लघुउत्तरीय प्रश्न होंगे। वहीं 6 अंकों के 1 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पूछे जाएंगे। विज्ञान के तीनों विषयों में प्रायोगिक परीक्षा 20 अंकों की होती है। परीक्षार्थियों को अपनी ही भाषा में उत्तर देने की कोशिश करनी चाहिए। प्रश्नों को समझें और उतर अपने हिसाब से दें। अपनी भाषा में दिया गया उत्तर सटीक अंक दिलाता है।

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न के लिए सभी पाठ महत्वपूर्ण

जीव विज्ञान में वस्तुनिष्ठ प्रश्नों की तैयारी के लिए सभी पाठ के अंत में दिए गए प्रश्नों का अध्ययन जरूरी है। मूलत: तानव में विभिन्न तंत्र के चित्र का अभ्यास (वृक्क, न्यूरान, द्विपरिसंचरण तंत्र, श्वसन तंत्र, तथा पुष्प के सभी अंगों) लाभकारी है। लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के लिए पिछले पांच वर्ष में पूछे गए प्रश्नों के साथ मॉडल सेट को जरूर देखें। इन प्रश्नों को लिखकर याद करें। यह सफलता के लिए मूल मंत्र है। परीक्षा का पैटर्न कठिन नहीं होता। यदि एकाग्रचित तथा आत्मविश्वास के साथ पूरे सिलेबस का आंतरिक मूल्यांकन करें।

----------------------------------- जीव विज्ञान में बिदुवार अध्ययन आवश्यक

मूलत: जीव विज्ञान विषय में कई अंकदायी अध्याय है। जिनका छात्रों को नियमित अध्ययन करना चाहिए। इन अध्यायों में पादप, प्रजनन, पादपो में नियंत्रण, जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव एवं नियंत्रण, अनुवांशिकी, पारिस्थितिकी का अध्ययन करना चाहिए।


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