गीत-संगीत की स्वर लहरियों पर झूमे लोग
शिल्पर्षि फणीभूषण विश्वास आर्ट एंड क्राफ्ट फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन गुरुवार की रात राजेन्द्र भवन गीत -संगीत की लहरियों से गुंजायमान रहा।
सीतामढ़ी । शिल्पर्षि फणीभूषण विश्वास आर्ट एंड क्राफ्ट फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन गुरुवार की रात राजेन्द्र भवन गीत -संगीत की लहरियों से गुंजायमान रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छपरा के ख्याति प्राप्त लोकगीत गायक रामेश्वर गोप ने ऐसा समां बांधा कि लोग भाव विभोर कर दिया। वर्तमान परिवेश में एक ओर जहां आधुनिकता का बोलबाला है, वही दूसरी ओर परंपरागत लोक गीत को जीवंत बनाए रखने वाले इस कलाकार ने लोगों की खूब वाहवाही बटोरी। हारमोनियम पर पंडित अविनय काशीनाथ एवं नाल वादक अक्षयवर ¨सह बेहतरीन संगत दी, वही सूरजनाथ यादव ने झाल की झंकार से वातावरण में उत्साह का संचार कर दिया। कलाकार रामेश्वर गोप परंपरागत वाद्य यंत्र सारंगी की तान पर जैसे ही लोक गीतों की प्रस्तुति शुरू की उपस्थित जन समूह वाहवाह कर उठे। कौन फुलवा फुलेला.. तथा डगरिया जोहत न..'प्रस्तुति पर लोग झूम उठे। कार्यक्रम का समापन लोक पर्व छठ गीत के साथ किया गया। धन्यवाद ज्ञापन चर्चित कला साधिका पल्लवी विश्वास ने किया। इस अवसर पर सैकड़ों की लोग मौजूद थे।