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समाजिक सदभाव बिगाड़ने की असामाजिक तत्वों की करतूतों से शर्मसार हुआ सीतामढ़ी

बेशक, प्रशासनिक टीम ने धैर्य और साहस का परिचय देते हुए सीतामढ़ी शहर को नफरत की आग में जलने से बचा लिया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Oct 2018 12:51 AM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 01:13 AM (IST)
समाजिक सदभाव बिगाड़ने की असामाजिक तत्वों की करतूतों से शर्मसार हुआ सीतामढ़ी
समाजिक सदभाव बिगाड़ने की असामाजिक तत्वों की करतूतों से शर्मसार हुआ सीतामढ़ी

सीतामढ़ी । बेशक, प्रशासनिक टीम ने धैर्य और साहस का परिचय देते हुए सीतामढ़ी शहर को नफरत की आग में जलने से बचा लिया है। लेकिन, आस्था के नाम पर जिस तरह असामाजिक तत्वों ने सड़क पर उतर कर आतंक का नंगा नाच किया वह शर्मनाक है। उससे भी अधिक शर्मनाक यह कि दूसरे गुट के लोगों ने आस्था पर प्रहार कर यह स्थिति उत्पन्न की। स्थिति और परिस्थिति के बीच लोगों ने कानून को हाथ में लिया। पुलिस प्रशासन की एक न सुनी। छह घंटे तक इलाके को आतंकित कर व्यवस्था को चुनौती दी। नफरत की आंधी बहा आक्रोश की आग में इलाके को झोंक एक बार फिर सामाजिक सदभाव बिगाड़ असामाजिक तत्वों ने सीतामढ़ी को शर्मसार किया है। सर्व धर्म समभाव और सामाजिक सदभाव के लिए मिसाल पेश करने वाली सीतामढ़ी की धरती असामाजिक तत्वों की करतूत से परेशान रही। मुट्ठी भर लोगों ने कुछ समय के लिए ही सही इलाके के अमन पसंद लोगों की नींद हराम कर दी। हालांकि, पुलिस व प्रशासनिक टीम ने पूरी धैर्य का परिचय दिया। खास कर एसपी विकास बर्मन पत्थरबाजों के पत्थर खाते रहे, लेकिन हिले नहीं। पत्थरों के बीच भी वे गांधीवादी बने रहे और इंसाफ का आश्वासन देकर शांति और सदभाव की अपील करते रहे। हालांकि इस घटना के पीछे कुछ हद तक पुलिसिया चूक भी रही। पुलिस ने शुक्रवार की रात की घटना पर भले ही काबू पा लिया, लेकिन इस घटना से सबक नहीं ली। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के कारण ही पत्थरबाजों के हौसले बुलंद हो गए। लिहाजा 10 घंटे के भीतर ही पत्थरबाजों ने दूसरी वारदात को अंजाम दे दिया। यह भी तय है कि दोषी किसी भी कीमत पर बख्शे नहीं जाएंगे। समाज में फिर सामाजिक सदभाव कायम होगा। दोनों ही गुट के लोग जेल जाएंगे और जब कानून का हंटर चलेगा तो उन्हें अपनी गलती याद आएगी। गलती उनकी होगी, सजा झेलेंगे उनके बीबी-बच्चे।

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कानून का होता रहा चीरहरण

कानून का होता रहा चीर हरण। व्यवस्था मजबूर थी। छह घंटे तक पुलिस-प्रशासन के लोग धैर्य के साथ आक्रोश के पत्थर खाते रहे। बावजूद इसके उपद्रवी तत्व रुके नहीं। प्रशासन भी उनके रुकने का इंतजार करती रही। लेकिन, लोग नहीं माने। आखिरकार पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी। मधुबन में पुलिस को देखते ही लोग भड़क गए। हालत यह कि एसपी समेत सभी पुलिस अधिकारी और सशस्त्र बल कई बार पीछे हट गए। पत्थरबाजी शुरू हो गई। पल भर में सड़क ईंट-पत्थरों से भर गई। लोग इतने पर भी नहीं माने। मुरलियाचौक में घर-दुकान में घुस कर मारपीट और लूटपाट तो की ही आगजनी भी की। घटना की खबर गौशाला तक पहुंची। यहां भी वही तस्वीर दिखी। फिर नोनिया टोल में सामने आया आक्रोश। जंगल के आग की तरह खबर राजोपट्टी में पहुंची तो एक गुट के लोग सड़क पर उतर कर हंगामा करने लगे।

------------- प्रभावित इलाकों में पसरा सन्नाटा

घटना के बाद मधुबन, मुरलिया चक, नोनिया टोल व गौशाला चौक के इलाकों में सन्नाटा पसर गया। भीड़ में शामिल लोग घर छोड़ कर फरार हो गए। जो लोग हैं, वे घर में ही छिपे हैं। जबकि पुलिस की टीम न केवल तैनात है, बल्कि लगातार गश्त भी लगा रही थी। सामाजिक सदभाव की बहाली की पहल तेज

सीतामढ़ी पहुंचे आइजी-डीआइजी ने समाजिक सदभाव की पहल तेज कर दी है। डीएम-एसपी समेत आला अधिकारियों के अलावा सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों के साथ मिल कर सदभाव की बहाली के लिए देर शाम से प्रयास जारी था। देर शाम शहर के विभिन्न इलाके में शांति मार्च निकाले गए। इसमें जिले के सभी अधिकारी, सशस्त्र बल, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इस दौरान आम जनता से शांति और सदभाव की अपील की गई। शांति मार्च में विधायक सुनील कुमार कुशवाहा, जदयू जिलाध्यक्ष राणा रणधीर ¨सह चौहान, कांग्रेस जिलाध्यक्ष विमल शुक्ला, प्रो. उमेश चंद्र झा, सत्येंद्र तिवारी, शाहीन प्रवीण, शफीक खान, एसडीओ सदर सत्येंद्र प्रसाद, एसडीपीओ डॉ. कुमार वीर धीरेंद्र व इंस्पेक्टर मुकेश चंद्र कुमर आदि शामिल थे।


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