खेती से पहचान बनी,किया नाम रोशन
पुपरी की एक मां, एक बेटी, एक बहन, एक बहू, एक सास, एक सखी, एक साथी और ना जाने जीवन मे कितने कितने ही किरदार निभाने वाली नारी शक्ति अब किसी के पहचान की मोहताज नही है।
सीतामढ़ी। पुपरी की एक मां, एक बेटी, एक बहन, एक बहू, एक सास, एक सखी, एक साथी और ना जाने जीवन मे कितने कितने ही किरदार निभाने वाली नारी शक्ति अब किसी के पहचान की मोहताज नही है। इस बात को सच और मजबूत कर रही है एक बेटी ने। अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत चोरौत प्रखंड के बर्री बेहटा निवासी अनुपम कुमारी ने कृषि के क्षेत्र पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर न सिर्फ अपनी पहचान खुद बनाई है बल्कि अपने वजूद को नाम भी दिया है। एक अलख जगाकर उन्होंने समाज में ही नहीं बल्कि अपने गांव एवं राज्य का नाम भी रोशन किया है।
कृषि के क्षेत्र में नित्य नए कर रही प्रयोग :
कभी किसी ने सोचा था कि चूड़ियों से भरे हाथ कभी हल या कुदाल थामेंगे? शायद ही यह परिकल्पना इलाके के किसी के जहन में आई होगी। लेकिन अनुपम की सोच कुछ अलग ही है। गरीब परिवार से आने वाली व किसान पिता उदय कुमार चौधरी की होनहार पुत्री ने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से मशरूम उत्पादन एवं केंचुआ खाद उत्पादन विषयक से प्रशिक्षण लेने के बाद इलाके में समूह बनाकर महिलाओं को मशरूम एवं केंचुआ खाद उत्पादन की व्यवहारिक प्रयोग और उत्पादन तकनीक की दिशा में अतुलनीय भूमिका निभाई है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में कुछ नए आयाम खोजकर अपनी धाक जमाई है। कृषि के जिन क्षेत्रों में पुरूषों ने कब्जा किया हुआ था। वहां आज अनुपम के कारण अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबी बनते देखा जा रहा है। स्थिति यह है कि पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाने के बजाय वे उन्हें काफी पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गई हैं और अपनी कल्पनाशक्ति का लोहा मनवा रही हैं।
अभिनव किसान से हुई है सम्मानित : कृषि के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन ¨सह 22 फरवरी को पटना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्र के आयोजित 18 वें स्थापना दिवस समारोह में प्रशस्ति पत्र देकर हौसला आफजाई किया था। इससे पूर्व गणतंत्र दिवस के अवसर पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर में आयोजित कार्यक्रम में वहां के कुलपित डॉ. आरसी श्रीवास्तव द्वारा अभिनव किसान से सम्मानित किया गया था। बताया गया कि केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा प्रत्येक साल जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़कर कृषि एवं संबद्ध कार्यो में बेहतर कार्य करने वाले चयनित एक किसान को अभिनव किसान पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस साल भी बिहार के 13 जिलों के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र सीतामढ़ी से भी इस पुरस्कार के लिए तीन किसानों का विस्तृत प्रतिवेदन समस्तीपुर स्थित विश्वविद्यालय को भेजा गया था। लेकिन चयनकर्ताओं ने रामदुलार ठाकुर, रंजीत कुमार ¨सह की जगह अनुपम को बेहतर मानते हुए अभिनव किसान के रुप मे नाम का चयन किया था। इसके बाद गणतंत्र दिवस के दिन पूसा विश्वविद्यालय में आयोजित समारोह में कुलपति ने प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. केएम ¨सह, केंद्र के नोडल अधिकारी व वैज्ञानिकों की मौजूदगी में उसे सम्मानित किया था।