तीन साल से नहीं हुई पानी टंकी की सफाई, प्रदूषित जल के साथ पहुंच रही बीमारी भी
सीतामढ़ी। नगर निगम पानी के साथ बीमारी भी लोगों के घरों में पहुंचा रहा है। जब से ये टंकियां लगी, उसकी सफाई करना निगम को याद ही नहीं रहा। शहरवासी उसी गंदे पानी का उपयोग पीने व नहाने में कर रहे हैं। नगर निगम क्षेत्र में 60 प्रतिशत लोगों के घरों में इन टंकियों का पानी पहुंचता है। दैनिक जागरण ने बुधवार को इसकी पड़ताल कराई तो पता चला कि पानी को फिल्टर प्लांट में ट्रीटमेंट करने के बाद जिन टंकियों में भरा जा रहा है, उसे लंबे समय से साफ नहीं किया गया। पानी टंकियों की सफाई के बारे में सवाल करने पर नगर निगम के सिटी मैनेजर रघुनाथ प्रसाद भी यह नहीं बता सके कि सफाई कब की गई थी। उन्होंने दलील दी कि पानी टंकी का संचालन व रख-रखाव बिहार जल पर्षद के अधीन कार्यकारी एजेंसी द्वारा किया जाता है। हर तीन माह पर पानी टंकी की सफाई कराने का प्रविधान है। सिर्फ सीतामढ़ी शहर में चार टंकियां हैं, जो 2018-19 में लगी। इनमें तीन तो चालू हालत में हैं, लेकिन एक अभी तक चालू नहीं हो सकी है। पानी टंकी ज्यादा देर तक भरी नहीं रहती, उसका पानी पाइपलाइन से शहर में सप्लाई कर दिया जाता है। फिर भी पूरी टंकी कभी खाली नहीं होती। थोड़ा पानी उसमें हमेशा भरा रहता है। बचे पानी में शैवाल पैदा होकर उसे गंदा करते हैं। फिल्टर प्लांट का साफ पानी फिर उसी टंकी में भरने से दूषित हो रहा है। कम से कम प्रत्येक तीन माह में टंकी की सफाई होनी चाहिए। करीब तीन साल से इससे पानी की आपूर्ति की जा रही है, लेकिन इस दौरान एक बार भी सफाई नहीं की गई है। पानी को स्वच्छ बनाने के लिए टंकी में क्लोरोक्विन दवा डाली जाती है। टंकी से पानी ओवर फ्लो होकर गिरने से रोकने के लिए मोटर बंद करने की जरूरत होती है, मगर वहां तैनात कर्मी की लापरवाही से ओवर फ्लो होकर गिरता रहता है। इससे पानी की बर्बादी अलग हो रही है। जल ही जीवन है का उपदेश देने वाले जवाबदेह अधिकारी भी इस ओर मुंह फेरे हैं।
ऐसे पानी से पेट की बीमारी : रघुनाथपुरी में फिजिशियन डा. एसके झा का कहना है कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम यानी पेट एवं आंत से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। प्रदूषित जल पीने की बात तो छोड़ ही दीजिए, उससे स्नान करने से भी चर्म रोग का खतरा रहता है। प्रदूषित जल कैंसर का भी कारक बनता है। पानी टंकी की सफाई नहीं होने से दीवारों पर धीरे-धीरे मिट्टी की परत जमने लगती है। एक समय बाद यह मोटी हो जाती है। मिट्टी में बैक्टीरिया पनपते हैं। साथ ही एल्काइन पैदा होता है। इससे पेट की कई तरह की बीमारियां होती हैं।
नगर में जलापूर्ति को लेकर 22.251 करोड़ की लागत
शहर में हर घर तक नल का जल पहुंचाने के उद्देश्य से चार पानी टंकी का निर्माण कराया गया था। इसका निर्माण बुडको द्वारा कराया गया है। इन सभी पानी टंकी की क्षमता एक लाख गैलन की है। इसका संचालन बिहार राज्य जल पर्षद के अधीन कार्यकारी एजेंसी द्वारा किया जाता है। बुडको के जेई सत्यप्रकाश ने बताया कि शहर में चार जगहों पर पानी टंकी का निर्माण कराया गया था। जिनमें कोट बाजार के पास पुरानी पानी टंकी की जगह पर नई टंकी, गोशाला चौक के पास, नगर निगम कार्यालय परिसर में एवं मेहसौल चौक के निकट अंचल गली में निर्माण कराया गया। अंचल गली स्थित पानी टंकी को छोड़ कर तीनों पानी टंकी से आपूर्ति जारी है। नगर में जलापूर्ति को लेकर 22.251 करोड़ की लागत से चार स्थानों पर पानी टंकी बनाई गई थी। चार में से तीन पानी टंकी चालू हो गई है। जिससे पानी की आपूर्ति हो रही है।
कोर्ट बाजार पानी टंकी से जलापूर्ति नियमित नहीं
कोट बाजार निवासी संजय कुमार पप्पू ने बताया कि कोट बाजार पानी टंकी चालू तो हो गई है, लेकिन इससे आपूर्ति अनियमित ढंग से की जाती है। कोट बाजार के करीब 70 प्रतिशत घरों में इसका पानी जाता है। अशोक कुमार ने बताया कि कोट बाजार पानी टंकी से आपूर्ति बराबर ठप ही रहती है। जब आपूर्ति होती भी है तो नल की टोटी नहीं रहने से सड़क पर पानी बहता रहता है। लोगों की शिकायत पर उसको बंद किया जाता है।
सीओ गली की पानी टंकी बिजली कनेक्शन के इंतजार में चालू नहीं : सभी पानी टंकी के निर्माण के बाद संवेदक द्वारा उसमें बिजली का कनेक्शन करा दिया गया, लेकिन उस समय सीओ गली में पावर सब स्टेशन का निर्माण हो रहा था। जिस कारण इस पानी टंकी के लिए बिजली का कनेक्शन नहीं हो सका। पावर सब स्टेशन स्थापित होने के बाद से बुडको द्वारा कार्यकारी एजेंसी गणाधिपति कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. को कई बार पत्र भेजा गया, लेकिन कंपनी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिस कारण अब तक यह चालू नहीं हो सका है।