नोटबंदी के फेर में फंसा'कैश ऑन डिलेवरी'कारोबार
पिछले कुछ सालों में ई कॉमर्स के माध्यम से छोटे शहरों व कस्बों तक में अपना कारोबार फैला चुकी ऑनलाइन कारोबार कंपनियों को नोटबंदी ने बड़ा झटका दिया है।
सीतामढ़ी। पिछले कुछ सालों में ई कॉमर्स के माध्यम से छोटे शहरों व कस्बों तक में अपना कारोबार फैला चुकी ऑनलाइन कारोबार कंपनियों को नोटबंदी ने बड़ा झटका दिया है। सीतामढ़ी में इन कंपनियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। इनका कैश ऑन डिलेवरी के माध्यम से हर महीने लाखों का कारोबार है। लेकिन नोट संकट के कारण ऑर्डर देने वाले लोग सामान लौटा रहे हैं।
ऑनलाइन खरीदारी का तेजी से फैलता कारोबार
सीतामढ़ी में ई कॉमर्स से देश-विदेश की कई बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट सीधे उपभोक्ता तक पहुंच रहे हैं। इनमें घरेलू उपयोग के सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, कपड़े व दवाएं तक शामिल हैं। कंपनियां बड़ी संख्या में टीवी चैनलों, मोबाइल व इंटरनेट पर वेब पोर्टल के माध्यम से अपने उत्पाद बेचती हैं। इससे ग्राहक को घर बैठे किफायती दर पर सामान मिलता है। पूर्व भुगतान के अलावा सामान आने के बाद नकद भुगतान करने की सुविधा मिलती है। कैश ऑन डिलेवरी की वजह से यहां इनका कारोबार तेजी से फैल रहा है।
नोटबंदी से कारोबार लगभग ठप
पांच सौ व एक हजार के नोट बंद होने के बाद सीतामढ़ी में ऑनलाइन सामान बेचने का कारोबार लगभग ठप पड़ चुका है। जाम की वजह से हर रोज 70-80 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। सिर्फ शहर में महज एक सप्ताह में 6-7 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है। फिलहाल तीन सौ से ज्यादा पैकेट व बंडल डिलेवरी एजेंसी के पास पड़े हैं। इनकी संख्या हर रोज बढ़ रही है। इनमें लोगों के महंगे कीमती सामान भी हैं। मजदूरी भुगतान व सामान को सुरक्षित रखने का झंझट अलग से। इतना ही नहीं सामान को लौटाने की प्रक्रिया में भी मशक्कत करनी पड़ रही है।
पैसे नहीं हैं, लौटा दीजिए सामान
लोग इन दिनों अपने घरेलू खर्च चलाने के लिए पैसों के इंतजाम में घंटों मशक्कत करते हैं। कोई बैंक की शाखा तो कोई एटीएम की लाइन में खड़ा है। इसी बीच कुरियर कंपनी का फोन आता है। सर, आपका ऑनलाइन ऑर्डर का सामान आया है। पैसे तैयार रखिए, मैं आ रहा हूं। इतना सुनते ही व्यक्ति परेशान हो जाता है और कह देता है पांच सौ-हजार के नोट लेने हों तो आइए नहीं तो सामान लौटा दीजिए।
इनसेट
कोट
नोटबंदी की वजह से सीतामढ़ी में कैश ऑन डिलेवरी का व्यवसाय लगभग ठप है। हम पांच सौ व एक हजार रुपये के नोट स्वीकार नहीं कर रहे हैं। स्थिति दिनोदिन विकट हो रही है। हर रोज नुकसान बढ़ रहा है। इससे जल्दी उबरने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
- मनु, संचालक, डिलेवरी एजेंसी।