जेल में दिखी गंगा-जमुनी संस्कृति की जीवंत तस्वीर
सीतामढ़ी जेल से एक बार फिर सामाजिक सदभाव का संदेश सामने आया।
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी जेल से एक बार फिर सामाजिक सदभाव का संदेश सामने आया। लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पर जेल में गंगा-जमुनी संस्कृति की जीवंत तस्वीर दिखी। सीतामढ़ी जेल में बंदियों ने धर्म की दीवारों को तोड़ इंसानियत का नया धर्म बनाया है। जेल परिसर स्थित एक ही घाट पर ¨हदू-मुसलमानों ने आस्था का अर्घ्य देकर सामाजिक सदभाव की तस्वीर पेश की। इस बार जेल में बंद 46 पुरुष और 15 महिला समेत कुल 61 बंदियों ने छठ व्रत किया। इनमें एक महिला और एक पुरुष समेत दो अल्पसंख्यक बंदी भी शामिल है। बुधवार को जेल परिसर स्थित तालाब पर व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया। इस दौरान चार दिनों तक जेल में भक्ति का माहौल रहा। वहीं जेल की दीवारें छठ गीतों से गूंजती रही। जेल आइजी मिथिलेश कुमार और डीएम डॉ. रणजीत कुमार ¨सह के निर्देश पर जेल अधीक्षक द्वारा जेल परिसर स्थित तालाब की साफ सफाई व घाटों का निर्माण कराया गया था। साथ ही तालाब को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। जेल प्रशासन द्वारा सभी व्रती बंदियों को वस्त्र और पूजन सामग्री उपलब्ध कराई गई थी। जबकि जेल में रह रहे व्रतियों के सात बच्चें को भी नए कपड़े उपलब्ध कराए गए। जेल अधीक्षक संजय कुमार राय ने बताया कि इस बार व्रती बंदियों के लिए जेल में खास व्यवस्था रही। बताते चले कि जेल में ¨हदू और मुसलमान बंदियों ने एक साथ छठ का व्रत कर सामाजिक सदभाव की शानदार तस्वीर पेश की। 61 बंदियों में नवीजान और मोतीजिन खातून नामक दो अल्पसंख्यक बंदियों ने भी छठ का व्रत किया। दोनों ने पूरे चार दिनों तक विधि विधान के साथ व्रत किया। साथ ही तालाब में खड़े होकर अर्घ्य भी दिया। नवीजान ने दंड प्रणाम भी किया। इस दौरान चार दिनों तक जेल परिसर उत्साह और भक्ति में डूबा रहा। डीएम डॉ. रणजीत कुमार ¨सह जेल में हो रहे इस आयोजन पर पूरी तरह नजर बनाए हुए थे। डीएम ने बंदियों की इस पहल की सराहना की है। वहीं इससे समाज के लोगों से सीख लेने की अपील की है। रणजीत पटेल, सुनील कुमार कापर, कौशल्या देवी, शांति देवी, यशोदा देवी, आकाश पासवान, दीपक कुमार व संजय यादव आदि बंदियों ने छठ पर्व पर सरकार और प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना की।