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शहर में ढूंढ़ते रह जाएंगे लेडीज टॉयलेट, आधी आबादी का नहीं कोई ध्यान

सीतामढ़ी। अगर आप शहर में शॉपिग करने या घूमने-फिरने ही निकले हैं तो ढूंढते रह जाइएगा लेडीज टॉयलेट आपको कहीं दिखाई नहीं पड़ेगा।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 12:20 AM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 12:20 AM (IST)
शहर में ढूंढ़ते रह जाएंगे लेडीज टॉयलेट, आधी आबादी का नहीं कोई ध्यान
शहर में ढूंढ़ते रह जाएंगे लेडीज टॉयलेट, आधी आबादी का नहीं कोई ध्यान

सीतामढ़ी। अगर आप शहर में शॉपिग करने या घूमने-फिरने ही निकले हैं तो ढूंढते रह जाइएगा लेडीज टॉयलेट आपको कहीं दिखाई नहीं पड़ेगा। आप घर से निकलने से पहले ही चेत जाएं वर्ना आपको परेशान होना पड़ेगा। आधी आबादी को लेकर शासन-प्रशासन कितना फिक्रमंद है यह बात उसकी गवाही देती है। महिलाओं के मान-सम्मान के नाम पर सिर्फ घड़ियाली आंसू ही बहाया जाता है। महिलाओं को परेशानी हो रही। शहर में रोजमर्रा के काम से या खरीदारी के लिए कम से कम 25 हजार महिलाओं की रोजाना आवाजाही रहती है। शहर में 3000 से अधिक छोटे-बडे शोरूम और दुकानें हैं। भीड़भाड़ वाले इलाके में आम महिलाओं की बात छोड़ भी दें तो कई पुलिस स्टेशनों तक महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट नहीं हैं। शौचालय नहीं होने से कभी-कभी परेशानी में पुरुषों वाला शौचालय यूज करने की मजबूरी हो जाती है। हर शहर, गांव और कस्बे के लोगों को खुले में शौच न करने और शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। सरकार दावा करती है कि उसने हर जगह सुलभ शौचालय बनवाएं हैं लेकिन क्या सरकार को पता है कि उन्हीं के अंतर्गत काम करने वाली पुलिस किस तरह के शौचालयों का इस्तेमाल कर रही है। मार्केट में आने वाली और काम करने वाली महिलाओं को टॉयलेट जाने में बहुत दिक्कत होती है। कई जगह मार्केट में एक ही टॉयलेट है जो हमेशा गंदे ही रहते हैं। इनकी सफाई होती नहीं है और बदबू से लोग इससे दूर ही भागते हैं। शहर में टॉयलेट की बहुत परेशानी है। किसी भी एरिया के मार्केट में लेडीज टॉयलेट का पता नहीं है। अक्सर ये परेशानी तमाम महिलाओं व लड़कियों को फेस करनी पड़ती है। जहां कोई टॉयलेट है भी उसकी सफाई न होने के कारण उसमें जाने में दिक्कत होती है।

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मशरूम गर्ल अनुपम झा, जिलाध्यक्ष जदयू महिला प्रकोष्ठ, सीतामढ़ी। घर से बाहर निकलने के बाद अगर टॉयलेट जाना पड़ जाए तो बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ता है। सिटी में जहां कहीं टॉयलेट मौजूद हैं उसमें इतनी गंदगी रहती है कि कोई जा ही न सके। जगत जननी माता जानकी की यह भूमि है। पर्यटन के ²ष्टिकोण से भी बाहर से महिला पर्यटक आती हैं और टॉयलेट का अभाव उन्हें भी खटकता है।

रजनी सिंह, भाजयुमो नेतृ, परिहार। हमने तो सुना था कि घने बाजार क्षेत्र और आसपास के इलाकों में महिलाओं के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किए गए पिक टॉयलेट बनाए जाएंगे। मगर, यहां तो टॉयलेट ही नहीं है। जब कभी महिलाएं और लड़कियां अपने किसी काम से घर से बाहर निकलती हैं तो उन्हें अक्सर लेडिज टॉयलेट का अभाव खटकता है।

स्वाति मिश्रा, समाजसेविका, सीतामढ़ी। शहर के बड़े मार्केट के आसपास टॉयलेट का संकट है। लोगों की सुविधा के लिए टॉयलेट हैं ही नहीं और नगर निगम हर सुविधा लोगों को देने का दावा करती है। इसके बाद भी लोगों को शहर में टॉयलेट को लेकर परेशान होने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इस परेशानी से सबसे ज्यादा महिलाओं का सामना होता है।

ज्योति शर्मा. नगर मंत्री, भाजयुमो। शहर में बने ज्यादातर टॉयलेट में लेडीज के लिए व्यवस्था नहीं है। जहां है भी वो काफी गंदे हाल में हैं। उसमें कोई महिला जा ही नहीं सकती। नगर निगम ने सिटी के कई मार्केट के आसपास टॉयलेट तो बनवाया है लेकिन, इनकी हालत ऐसी है कि उसमें कोई जाना नहीं चाहता।

शाहिन परवीन, जिलाध्यक्ष भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ, सीतामढ़ी।


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