कटही गाड़ी और ग्रामोफोन से होता था चुनाव प्रचार
लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। इलाके में चुनावी शोर है। हर ओर लोग वोट पर चर्चा कर रहे हैं। लोकतंत्र के महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह भी दिख रहा है।
सीतामढ़ी। लोकसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है। इलाके में चुनावी शोर है। हर ओर लोग वोट पर चर्चा कर रहे हैं। लोकतंत्र के महापर्व को लेकर लोगों में उत्साह भी दिख रहा है। वृद्ध हो या युवा वोटर हर कोई अपनी नजर से चुनाव को देख रहा है। हालांकि, चुनाव दर चुनाव व्यवस्था में बदलाव आ रहा है। सीतामढ़ी लोकसभा के लिए हुए पहले चुनाव से अब तक हर चुनाव में मतदान करने वाले चोरौत निवासी 84 वर्षीय सेवानिवृत्त सहकारिता प्रसार पदाधिकारी डॉ. रामबृक्ष नायक इस बार भी मतदान को लेकर उत्साहित हैं। बताते हैं कि अंग्रेज के जमाने में भी चुनाव होते थे। गांव स्तर पर सदस्य पद के लिए और जीते हुए सदस्य चेयरमैन का चुनाव करते थे। वोट का अधिकार टैक्स अदा करने वाले यानी केवल जमींदारों को ही था। आजादी के बाद विश्व में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत स्थापित हुआ। बताया कि सीतामढ़ी सीट के लिए वर्ष 1957 में मतदान हुआ। इसमें इंडियन नेशनल कांग्रेस के जीवत राम भगवानदास कृपलानी की जीत हुई थी। दूसरा चुनाव 1962, तीसरा 1967 और चौथा चुनाव 1971 में हुआ था। लगातार तीन बार नागेंद्र प्रसाद यादव की जीत हुई थी। बताया कि उस समय प्रचार के लिए पार्टियां साइकिल रैली निकालती थी। लाउडस्पीकर नहीं था। कटही गाड़ी और ग्रामोफोन में कैसेट लगाकर पार्टी वाले प्रचार-प्रसार किया करते थे। बैलेट पेपर पर चुनाव होता था। बताते हैं कि वोटिग की व्यवस्था में आए बदलाव से काफी सुविधा हुई है। बूथ बढ़ने और इवीएम के आने से वोटिग की प्रक्रिया भी निष्पक्ष हुई है।
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