हथुआ महाराज पहुंचे सीतामढ़ी, मां जानकी के दरबार में सपरिवार टेका माथा
सीतामढ़ी। जगत जननी माता मां जानकी की प्राकट्यस्थली पुनौराधाम में हथुआ महाराज बहादुर भृगेंद्र प्रताप साही शनिवार को माता के दरबार में माथा टेकने पहुंचे।
सीतामढ़ी। जगत जननी माता मां जानकी की प्राकट्यस्थली पुनौराधाम में हथुआ महाराज बहादुर भृगेंद्र प्रताप साही शनिवार को माता के दरबार में माथा टेकने पहुंचे। उनके परिवार के सदस्य भी साथ में थे। जिनमें पत्नी महारानी पूनम शाही, पुत्र वधु तनु सिंह व शिवहर स्टेट राम कृष्ण शामिल हैं। सभी ने माता जानकी के दर्शन किए एवं विधि-विधान के साथ पूजापाठ की। दर्शन उपरांत महाराज ने बताया कि दशहरा बाद माता का दर्शन करने की इच्छा हुई। अपने जीवन काल में तीसरी बार माता का दर्शन हो जाने से धन्य-धन्य हो गया। कोरोना काल में देश को काफी नुकसान हुआ है। इसलिए माता से प्रार्थना की है कि देश अब तरक्की के मार्ग पर चले। सीतामढ़ी के लोगों के लिए सौभाग्य की बात है कि मां जानकी का जन्म स्थान उनकी भूमि पर है। जिसका वर्णन रामायण में भी है। भव्य मदिर पूरे प्रांगण को एक अलग रूप देता है। इससे पहले हथुआ महाराज और महारानी समेत पूरे परिवार का मंदिर के मुख्य द्वार पर लोगों ने फूलमाला से भव्य स्वागत किया। मौके पर शिवनाथ सिंह, चंदन कुमार, अतुल कुमार, अरूण कुमार, मुन्ना कुमार भी मौजूद रहे। पुनौराधाम स्थित आलोक वत्स के कामिनी विवाह भवन भी गए। वहां भी उनका भव्य स्वागत किया गया। गौरतलब है कि राजतंत्र के जमाने में हथुआ राज भारत का एक प्रमुख राज हुआ करता था। हथुआ राज जहां आज भी राजा की सभा लगती है। हथुआ राज के कई ऐसी विरासत बिहार के इलाकों में देखने को मिल सकता है। गोपालगंज में सबसे ज्यादा उनकी विरासत की छाप मिल जाएगी। कई प्रॉपर्टी में उनके आज सैनिक स्कूल और अलग-अलग कॉलेज चल रहे हैं। उनकी कई प्रॉपर्टी को मैरिज हॉल वालों ने लीज पर लिया है। आजादी के बाद कई राज घराने थे, जिनको अपनी प्रॉपर्टी गवर्मेंट को सौपनी पड़ी। लेकिन, हथुआ राज ने अपनी संपति गवर्मेंट को नहीं दी और आज भी उनका साम्राज्य बऱकरार है।