गेहूं की फसल अच्छी होने की उम्मीद से किसान उत्साहित
पुपरी में सिस्टम और मौसम का दंश झेल रहे किसानों के खेतों में लहलहा रही गेहूं की फसल को देखकर फूले नहीं समा रहे है।
सीतामढ़ी। पुपरी में सिस्टम और मौसम का दंश झेल रहे किसानों के खेतों में लहलहा रही गेहूं की फसल को देखकर फूले नहीं समा रहे है। साथ ही मौसम के उतार चढ़ाव के कारण उनकी चिताएं भी बढ़ रही है। इस वार शुरुआत से ही कुहासा नही होने के कारण किसान चितित रहे। लेकिन बीच-बीच मे बारिश ने भरपाई कर दी। कड़ी मेहनत, महंगी बीज-खाद और पटवन में पानी की तरह पैसा बहाए जाने के बाद गेहूं की फसल उगाई गई। इस वार इस फसल से उन्हें बहुत उम्मीदें है। कुदरत ने मानो उनके दर्द को समझ लिया है। लेकिन बीच-बीच मे बहने वाली पछिया हवा और जंगली जानवरों ने परेशानी बढ़ा दी है। किसानों को अच्छी कीमत की आस : गेहूं की फसल अच्छी होने से किसानों को इसका फायदा मिल सकता है। गेहूं की पौधों में इन दिनों बालियां निकल चुकी हैं। हफ्ते-पंद्रह दिन में कटने को तैयार हो जाएंगी। बताया जाता है कि फसल पकने के समय अगर मौसम खराब नहीं हुआ और ओलावृष्टि नहीं हुई तो किसानों को गेहूं की अच्छी फसल हाथ लग सकती है। एक अनुमान के तहत इस बार प्रति हेक्टेयर जुताई से लेकर बीज-खाद, पटवन तक बीस हजार रुपये खर्च करने पड़े है। चिता यह है कि जिस तरह धान को बेचने के लिए क्रय केंद्र नही होने से अच्छा भाव नही मिला। इसको लेकर गेहूं उत्पादक किसान आशंकित हैं। जंगली जानवर और मौसम गेहूं के दुश्मन : गेहूं की लहलहाती फसल और अच्छी पैदावार की मंशा पर जंगली जानवर से लेकर मौसम तक पानी फेरते नजर आ रहे है। गेहूं की फसल के लिए चूहे और कई जानवर दुश्मन बने हुए है। चूहे गेहूं की बालियों को काट कर फसल को बर्बाद करते हैं, तो जंगली सुअर, घोड़ गीदड़ पकी बालियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे बचाव के लिए किसान मानव जैसा धुआं बनाकर फसल के बीच गाड़ जुगत में लगे है। चूहे से पकीफसल का काटकर अपने बिलों में भरकर किसानों का बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। कुछ किसान चूहामार दवा डाल कर चूहे से निजात पाने की कोशिश कर रहे हैं। इन सब के बीच पछिया हवा बाली को सूखने के कगार पर पहुंचा रहा है। क्या कहते हैं किसान : गेहूं की लहलहाती फसल के साथ उपजे परेशानी को लेकर किसानों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। रामपुर पचासी के किसान विजय यादव का कहना है कि इस बार गेहूं की फसल अच्छी दिख रही है। लेकिन अभी पछिया हवा और जानवर परेशान कर रहा है। लेकिन ओलावृष्टि व अन्य दैवीय आपदा का कहर नहीं हुआ तो फसल से काफी फायदा होगा।
गंगापटी के राम प्रगास राउत कहते है कि गेहूं की फसल अच्छी होने के बावजूद किसान चितित है और कर्जे में डूबे हुए है। मौसम के बार-बार उतार चढ़ाव से किसान चितित है। खेतों में पक रही गेहूं की फसल ओलावृष्टि की शिकार न हो जाए, यह चिता किसानों को सताए जा रही है।
बिक्रमपुर के दिलीप महतो कहते है कि गेहूं को शासन समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था करे तथा मंडियों में खरीदी-बिक्री की व्यवस्था करे। जब तक गेहूं का अच्छा भाव नहीं मिलेगा, किसानों को गेहूं से फायदा कम नुकसान ज्यादा होगा।