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अधिवक्ता अजीत की मौत से परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, अधिवक्ताओं में गम व गुस्सा

सीतामढ़ी। युवा व प्रखर अधिवक्ता पमरा निवासी अजित कुमार उर्फ राकेश कुमार की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 12:04 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 12:04 AM (IST)
अधिवक्ता अजीत की मौत से परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, अधिवक्ताओं में गम व गुस्सा
अधिवक्ता अजीत की मौत से परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, अधिवक्ताओं में गम व गुस्सा

सीतामढ़ी। युवा व प्रखर अधिवक्ता पमरा निवासी अजित कुमार उर्फ राकेश कुमार की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है। जिन परिस्थितियों में उनकी मौत बताई जा रही है वह तमाम सवाल खड़े करता है। अधिवक्ता की पत्नी व भाई बिलख-बिलखकर यहीं कह रहे हैं कि उनकी सोंची-समझी साजिश के तहत उनकी हत्या कर दी गई है। पुलिस हालांकि, हत्या व हादसा के बीच असमंजस में है और उसका कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तथा जांच-पड़ताल के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। पुलिस के लिए फिलहाल यह घटना सड़क हादसा ही लग रही है। मंगलवार देररात सीतामढ़ी शहर के नाहर चौक शांति नगर स्थित आदित्य विजन के समीप यह घटना हुई। सीतामढ़ी हॉस्पीटल रोड में अपने आवास से डुमरा की ओर जाने के क्रम में यह वारदात हुई। वे करीब 45 वर्ष के थे। लगभग 19 वर्ष से वकालत के प्रैक्टिस में थे। वे नियमित न्यायालय आते थे। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी अपनी दो नाबालिग पुत्री कीर्ति साध्वी व तनुष्का को को लेकर चित्कार कर रही हैं। ,कीर्ति अभी 10 2 में है तो तनुष्का आठवीं कक्षा में पढ़ती है। अधिवक्ता चार भाई हैं। 2003 में उनकी शादी हुई। अधिवक्ता के माता-पिता व भाई -बहनों समेत पूरे परिवार का रोते-रोते बुरा हाल है। पत्नी बोलीं-चावल, कढ़ी व भुजिया बनाकर उनके लौटने का कर रही थी इंतजार

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वे देर शाम तक किशोर न्याय परिषद से जुड़े एक मामले में कार्य निष्पादन कर हॉसपीटल रोड स्थित अपने आवास पर लौटे थे। तब उनके साथ मुंशी गोलू उर्फ दीक्षांत व चुन्नू गुप्ता थे। अधिवक्ता की पत्नी का कहना है कि यहीं दो लोग उनके डेरा पर आए थे। रात 10 बजे दोनों को छोड़ने के लिए बाइक से निकले। तब खाना भी नहीं खाए थे। रात में रोटी खाना उन्हें पसंद नहीं था। सो, उनकी इच्छा पर गर्म चावल बनवाए थे। चावल, कढ़ी व भुजिया बनाकर उनके लौटने का इंतजार कर रही थीं। वह तो नहीं आए घटना की सूचना आ गई। तब अपनी दोनों बेटियों को लेकर दौड़ी। वहां पहुंचने पर पता चला उनकी मौत हो चुकी है। शरीर में सिर के नीचे कंधे की तरफ किसी चीज से प्रहार का निशान था।

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अधिवक्ताओं पर लगातार हमला, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू हो

इस बीच अधिवक्ताओं का कहना है कि शरीर पर पाए गए जख्म के निशान व बाइक की स्थिति तथाकथित मृत्यु का स्थल व समय अदि कारण सब संदेहास्पद प्रतीत होता है। पुलिस को इसकी तफ्तीश से जांच करनी चाहिए। अधिवक्ताओं के अनुसार, सिर्फ सीतामढ़ी व्यवहार न्यायालय से जुड़े करीब आधा दर्जन अधिवक्ताओं पर जानलेवा हमला हो चुका है। जिसमें एक की हत्या सिविल कोर्ट सीतामढ़ी के मुख्य द्वार के पास हुई थी। इससे अधिवक्तागण खौफजदा हैं। वावजूद सरकार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं कर रही है। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने बिहार और केंद्र सरकार सहित सुप्रीम कोर्ट से अविलंब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने या तमाम एक्ट को रद करने की मांग की है।


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