दूर तलक उजाला दिखाई न दे, या खुदा मुझे ऐसी खुदाई न दे ..
शहर के सोनापट्टी स्थित लोहिया भवन में मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई।
सीतामढ़ी। शहर के सोनापट्टी स्थित लोहिया भवन में मासिक काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता संगठन के जिलाध्यक्ष मुरलीधर झा मधुकर ने की व संचालन संगठन मंत्री वाल्मीकि कुमार ने किया। साहित्यकारों ने वरीय साहित्यकार उमाशंकर लोहिया के कहानी संग्रह सप्तरंग' के प्रकाशन के लिए इन्हें बधाई दी। साहित्यकार सह संगठन के संरक्षक उमाशंकर लोहिया ने काव्य गोष्ठी का आगाज करते हुए 'दूर तलक उजाला दिखाई न दे, या खुदा मुझे ऐसी खुदाई न दे' प्रस्तुत कर भरपूर वाहवाही बटोरी। रामबाबू सिंह ने 'पिता दरजे की शान, मां की ओठों की मुस्कान है' प्रस्तुत की। वही जितेंद्र झा आ•ाद ने है 'यहां जिदगी मगर मौत पे भारी है, डर है न बहक जाए कदम ये कैसी तैयारी है' और गुफरान राशिद ने 'न जिसपे दाग हो धब्बे हो अब तक वे हयायी के, तुम्हारे सामने ऐसी जवानी छोड़ जाएंगे'प्रस्तुत कर कार्यक्रम में उत्साह का संचार कर दिया। शंभू कुमार सागर ने 'सह ली सारी यातना पर, कर्तव्य सर्वोपरि रखा'प्रस्तुत की। कमल एकलव्य ने 'तुम चंद्रहास के भय को भी, तिनको से दूर भगाती हो, अपने ही तप बल से पुरुषों को पुरुषोत्तम कर जाती हो' प्रस्तुत कर नारी शक्ति की सच्चाई को सामने रखा। संगठन के जिलाध्यक्ष मुरलीधर झा मधुकर ने महिला अत्याचार पर रोष का इजहार करते हुए 'बहुत सही तुम अत्याचार बेटियों, थाम लो अब तुम तलवार बेटियों' प्रस्तुत कर पुरजोर तालियां बटोरी। वहीं, राजेन्द्र सहनी ने अगाह करते हुए 'ध्यान रहे देश के बर्बर आक्रांता देश को तोड़ने न पाए, वंदे मातरम के विरोधी गद्दारी न करने पाए' प्रस्तुत की।
वही वाल्मीकि कुमार ने पुलिस की कार्यशैली पर लगातार उठ रहे सवालों पर अपनी रचना 'माना कि बदनाम है वर्दी अपनी ही कोतवाली में, लेकिन वो फिर भी है सच्चा घर की पहरेदारी में' प्रस्तुत कि, प्रकाश कुमार वत्स ने'जीत होगी उसकी ही, जिसने इसे पहचाना है'प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। मौके पर विजय सहनी, कमल, रूपेश समेत अन्य थे।