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हंगामें की भेंट चढ़ी जिला परिषद की आम सभा, पार्षदों ने काटा बवाल

समाहरणालय के विमर्श कक्ष में शनिवार को आहूत जिला परिषद की आम सभा हंगामे की भेंट चढ़ गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 04:32 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 04:32 PM (IST)
हंगामें की भेंट चढ़ी जिला परिषद की आम सभा, पार्षदों ने काटा बवाल
हंगामें की भेंट चढ़ी जिला परिषद की आम सभा, पार्षदों ने काटा बवाल

सीतामढ़ी। समाहरणालय के विमर्श कक्ष में शनिवार को आहूत जिला परिषद की आम सभा हंगामे की भेंट चढ़ गई। जिप उपाध्यक्ष देवेंद्र साह के नेतृत्व में 25 पार्षदों ने जहां उमा देवी को अध्यक्ष मानने से इन्कार करते हुए बैठक का बहिष्कार किया, वहीं जम कर हंगामा किया। इस दौरान बैठक की कार्यवाही से संबंधित जिला परिषद की पंजी भी पार्षदों ने छीन ली। दोपहर 12 बजे से शाम 6 बजे तक पार्षद हंगामा करते रहे। डीएम द्वारा विकास योजनाओं को पारित कराने का हवाला दिए जाने पर पार्षदों ने तालियां बजाई। लेकिन, डीएम डॉ. रणजीत कुमार ¨सह के बैठक से निकलते ही पार्षद उग्र हो गए। उपाध्यक्ष देवेंद्र साह समेत पार्षदों का कहना था कि 13 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के तहत पार्षदों के गायब रहने के चलते बैठक स्थगित कर दी गई थी। डीडीसी ने विभाग से मार्गदर्शन मिलने के बाद अगली कार्यवाही की बात कही थी। लेकिन, अब तक मार्गदर्शन नहीं मिल पाया है। जब तक मार्गदर्शन नहीं मिल जाता है तब तक उमा देवी को अध्यक्ष नहीं मानते हैं और उनकी अध्यक्षता में बैठक असंवैधानिक है। दो दिन पूर्व भी उपाध्यक्ष समेत पार्षदों ने इस बाबत जिप अध्यक्ष, डीडीसी व डीएम को आवेदन दिया था। इसमें बैठक स्थगित करने की मांग की थी। बावजूद इसके बैठक बुलाई गई। इस दौरान डीडीसी प्रभात कुमार समेत कई अधिकारी बार-बार स्थिति नियंत्रित करने में लगे रहे। लेकिन, उग्र पार्षद अपनी मांग पर अड़े रहे। आखिरकार देर शाम बैठक स्थगित करनी पड़ी। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी। वजह डीडीसी ने अपना मोबाइल बंद कर लिया था। उपाध्यक्ष ने कहा कि डीडीसी ने बैठक स्थगन की घोषणा की है। उन्होंने बैठक की कार्रवाई दूसरी रजिस्टर मंगवा कर की। नए रजिस्टर पर प्रमुख समेत 24 लोगों ने हस्ताक्षर किया है। जबकि, अध्यक्ष उमा देवी ने बताया कि बैठक हुई है। पूर्व के प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया है। ये लोग काम नहीं होने देना चाहते हैं। इनका विकास से वास्ता नहीं हैं। दो-दो बार पंजी छीन लिए। बताया कि 38 पार्षदों में 7 अनुपस्थित थे। जबकि, अध्यक्ष के पक्ष में 17 पार्षद, 14 प्रमुख व एक विधायक मौजूद थे। उधर, डीएम डॉ. ¨सह ने बताया कि संवैधानिक रूप से उमा देवी ही जिप अध्यक्ष हैं। उनके खिलाफ लगाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया था।

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यह है मामला

सीतामढ़ी : जिला परिषद का विकास लंबित रखने व स्थाई समिति का गठन नहीं करने समेत कई आरोप लगाते हुए पार्षदों के दो अलग-अलग गुटों ने 4 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव लगा था। एक गुट के आवेदन पर 13 व दूसरे गुट के आवेदन पर 19 जिला पार्षदों के हस्ताक्षर थे। इनमें चार पार्षदों के हस्ताक्षर दोनों आवेदन पर थे। जिप अध्यक्ष ने 13 पार्षदों द्वारा लगाए गए अविश्वास प्रस्ताव के आलोक में डीएम व डीडीसी को पत्र भेज कर विशेष बैठक के लिए 12 जुलाई की तिथि तय की थी। इसके तहत प्रशासनिक व्यवस्था के बीच समाहरणालय के विमर्श कक्ष में विशेष बैठक हुई थी। हैरत की बात यह कि बैठक में अविश्वास प्रस्ताव लगाने वाले पार्षदों के एक गुट के सभी 13 पार्षद गायब रहे। जबकि, दूसरे गुट के भी 8 सदस्य अनुपस्थित रहे। डीडीसी ने विभागीय मार्गदर्शन के बाद निर्णय लिए जाने की बात कही थी। तब जिप अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने का दावा किया था। हालांकि, डेढ़ माह बाद भी विभागीय मार्गदर्शन नहीं मिल सका है। इसी बीच जिप उपाध्यक्ष के नेतृत्व में पार्षदों ने 4 जुलाई को उनके गुट द्वारा दिए गए आवेदन के आलोक में अविश्वास प्रस्ताव पर विशेष बैठक बुलाने की मांग करते हुए 5 सितंबर को डीडीसी व जिप अध्यक्ष को आवेदन दिया था। हालांकि, जिप अध्यक्ष उमा देवी ने आवेदन लेने से इन्कार कर दिया था। 10 सितंबर को जिप उपाध्यक्ष के नेतृत्व में पार्षदों ने विभागीय मार्गदर्शन मिलने तक जिप की आम सभा को स्थागित करने की मांग की थी, वहीं बैठक के बहिष्कार का एलान किया था।

बैठक को लेकर रही प्रशासनिक व्यवस्था

सीतामढ़ी : बैठक में हंगामे की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने पूरी व्यवस्था कर रखी थी। विमर्श कक्ष में बैठक के दौरान दंडाधिकारी, पुलिस अधिकारी व महिला व पुलिस आरक्षी की तैनाती की गई थी। जबकि बैठक की पूरी प्रक्रिया सीसीटीवी में कैद की गई।


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