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बदलाव की बयार को देख निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के लिए डैमेज कंट्रोल चुनौती

सीतामढ़ी। पंचायत चुनाव के जारी चक्र के तहत जिले के चार प्रखंडों में मतदान खत्म हो गया और चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 11:27 PM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 11:27 PM (IST)
बदलाव की बयार को देख  निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के लिए डैमेज कंट्रोल चुनौती
बदलाव की बयार को देख निवर्तमान जनप्रतिनिधियों के लिए डैमेज कंट्रोल चुनौती

सीतामढ़ी। पंचायत चुनाव के जारी चक्र के तहत जिले के चार प्रखंडों में मतदान खत्म हो गया और चुनाव परिणाम घोषित हो चुका है। परिणाम सामने है, अधिकतर मुखिया, जिप सदस्य एवं अन्य पदों पर काबिज पंचायत प्रतिनिधियों की कुर्सी खिसक चुकी है। बदलाव की बयार ने सबकुछ उलट-पुलट कर दिया। इक्का-दुक्का ही इस बयार में अपनी नाव को किसी तरह किनारे लाने में सफल रहे। बीते पांच साल में पंचायतों में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जो अनियमितता बरती गई शायद उसका खामियाजा इन जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ा। हर घर गली-नाली योजना, घर घर नल-जल योजना, शौचालय निर्माण, प्रधानमंत्री आवास योजना सहित विभिन्न योजनाओं में लूट-खसोट व पक्षपात की शिकायतें उठती रहीं। बावजूद पंचायत प्रतिनिधि सब कुछ ठीक ठाक है का राग अलापते हुए अपना घोड़ा दौड़ाए जा रहे थे। यही अनदेखी ने हवा का रूख बदला और संपन्न हुए चुनाव ने अर्श से फर्श पर ला दिया। बदलाव की बयार ने चोरौत प्रखंड की सात पंचायतों में पुराने एक मुखिया को छोड़ सभी औंधे मुंह गिरे। नानपुर में 17 में से छह मुखिया ही अपनी कुर्सी बचा सके। बथनाहा ककी 21 व बोखड़ा की 11 कुल 32 पंचायतों में से 26 मुखियों को हार का सामना करना पड़ा। इस बदलाव की बयार को देखते हुए अब आगे जहां भी चुनाव होना है वहां के निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के होश उड़ गए हैं। इनके लिए अब डैमेज कंट्रोल करना बड़ी चुनौती के तौर पर है। अभी चार दिन पूर्व सोनबरसा के विशनपुर गोनाही पंचायत के परसा महिद गांव से कोविड 19 और बाढ़ के दौरान लाभुकों के बीच वितरण की जाने वाली सामग्री भारी मात्रा में बरामद की गई। बीडीओ ने आशंका जताई कि पंचायत चुनाव में किसी प्रभावशाली और संभावित प्रत्याशी के पक्ष में मतदाताओं को लुभाने के लिए वितरण करने के लिए ये सामग्री रखी गई हो सकती है। इससे साफ जाहिर है कि वोटरों को लुभाने के लिए चुनावी जंग में हर पैंतरा आजमाने की कोशिश की जा सकती है। बीते पांच साल में जिन लोगों की सुध नहीं ली गई, उनके दरवाजे तक प्रत्याशी दौड़ लगाते हुए दिख रहे हैं। पंचायत चुनाव में बदलाव की बयार से इनकी स्थिति किसी शायर की ये पंक्तियां बयां कर रही है-'जिसको बड़ा गरूर था अपने वजूद पर वो आफताब शाम की चौखट पे मर गया।'

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