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बाहर बिजी रहने वाले बच्चे देखिए कैसे घर के अंदर फिल कर रहे इजी

कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण घूमने-फिरने का प्लान तो पहले ही रद हो गया था।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 09:56 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 06:08 AM (IST)
बाहर बिजी रहने वाले बच्चे देखिए कैसे घर के अंदर फिल कर रहे इजी
बाहर बिजी रहने वाले बच्चे देखिए कैसे घर के अंदर फिल कर रहे इजी

सीतामढ़ी। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण घूमने-फिरने का प्लान तो पहले ही रद हो गया था। लॉकडाउन से बच्चे चहारदीवारी में ही कैद हो गए हैं। न दोस्तों के साथ खेल सकते हैं और न ही पार्क में झूला झूलने जा सकते हैं। टीवी व मोबाइल से भी ऊब चुके कुछ बच्चे गली में निकल जाते हैं, जो सही नहीं है। बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए उनके अभिभावक साथ वक्त बीता रहे हैं, खेल में हिस्सा ले रहे हैं, चुटकुले सुना रहे हैं, गाने गा रहे हैं। शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बच्चों से हमने जानने का प्रयास किया लॉकडाउन में कैसे गुजर रहा उनका वक्त। पांच बच्चों से पूछा लॉकडाउन में वे क्या कर रहे हैं? कितनी देर पढ़ाई करते हैं? ड्राइंग में रुचि है या फिर संगीत में? मनोरंजन के लिए क्या कर रहे हैं? कौन सा खेल पसंद है? आईए जानते हैं उन्हीं की जुबानी। कोई खेल-पढ़ रहा तो कोई मस्ती में मग्न

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जयप्रकाश पथ, सीतामढ़ी का अश्क शर्मा पढ़ाई में अपना समय बीता रहा है। वहीं अगस्तया ने आज पतंग बनाया। रुन्नीसैदपुर के अथरी गांव की श्रेया, सुनिधि व सचिन देव पेंटिग बना रहे हैं। रुन्नीसैदपुर के गाढ़ा गांव में रेवांथ परमार व आद्या अपने ननिहाल आए हुए हैं। दोनों भाई-बहन ननिहाल में खेलकूद कर मस्ती कर रहे हैं। श्रेया गर्वनमेंट आइटीआइ में पढ़ती हैं, सचिन देव व सुनिधि डीएवी पब्लिक स्कूल रुन्नीसैदपुर में पढ़ते हैं। लॉकडाउन में स्कूल-कॉलेज बंद है तो तीनों ड्राइंव व पेटिग बनाकर बिजी रह रहे हैं। भासर गोट महारानी स्थान, डुमरा की प्रधान शिक्षिका रीता कुमारी का कहना है कि लॉकडाउन जैसे माहौल में घर के अंदर रहना थोड़ा मुश्किल है पर बेहद जरूरी है।

लॉकडाउन ने बच्चों की दिनचर्या बदल दी

लॉकडाउन ने सभी की दिनचर्या बदल दी है। इससे छोटे बच्चे भी अछूते नहीं हैं। घरों में कैद बच्चों ने घर के आंगन और छत को ही खेलकूद की जगह बना लिया है। शाम के समय बच्चे अपने अभिभावकों के साथ छत पर खेलते नजर आ रहे हैं। इस समय वह बच्चे भी बहुत खुश हैं जिनके अभिभावक जीवन की आपाधापी में समय नहीं दे पाते थे। वह लोग आज अपने मां-बाप को साथ देखकर उनके साथ समय बीता रहे हैं। बाजार बंद होने से उनकी फरमाइशें भी कम हुई हैं। जंकफूड, फास्टफूड पर ही निर्भर बच्चे अब अपनी मां, दादी, नानी के हाथों से बनी नई-नई डिस की फरमाइशें कर रहे हैं। बच्चे फिजिकल डिस्टेंसिग, संक्रमण से बचने के लिए सफाई के तरीके सीख रहे हैं। इस बदले माहौल ने उन्हें जीवन में न भूलने वाले कुछ लम्हें जरूर दिए हैं। बच्चे कोरोना जैसी बीमारी से लड़ने और जीतने की बात कर रहे हैं।


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