लोगों में व्यवहार परिवर्तन नहीं होने से रूक नहीं रहा खुले में शौच
चोरौत में सरकार जिस उद्देश्य से खुले में शौच की कुप्रथा को समाप्त करने में प्रयासरत है वह धरातल पर पूरी तरह नहीं उतर पा रहा है।
सीतामढ़ी। चोरौत में सरकार जिस उद्देश्य से खुले में शौच की कुप्रथा को समाप्त करने में प्रयासरत है वह धरातल पर पूरी तरह नहीं उतर पा रहा है। हालांकि, कई क्षेत्रों मे सुधार तो जरूर है। लेकिन, हठी लोग अपने व्यवहार में परिवर्तन नहीं कर रहे हैं। इस कारण शौचालय निर्माण करा चुके कई लोग अब भी खुले में शौच में जा रहे हैं। कई लोग गरीबी और कम जमीन की बात कहकर शौचालय निर्माण नहीं कर अब भी कर खुले में जा रहे हैं। शौचालय निर्माण के बाद कई पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया। लेकिन जमीन पर हकीकत की कुछ और ही तस्वीर दिख रही। सोमवार को दैनिक जागरण की टीम चोरौत पश्चिमी पंचायत स्थित प्रखंड मुख्यालय के समीप पूरब भाग में पहुंची जहां का नजारा अलग ही दिखा। खुले में शौच की हकीकत सामने आ गई। यहां तक कि प्रखंड मुख्यालय में भी बिना गेट का शौचालय दिखा। लोगों ने कहा कि बिना सार्वजनिक शौचालय के ओडिएफ घोषित करना बेमानी है। चोरौत के सूरी धर्मशाला में 21 जून 2017 को तत्कालीन बीडीओ नीलकमल ने चोरौत पश्चिमी पंचायत को खुले मे शौच से मुक्त घोषित किया था। इसमें दर्जनों लोगों को शपथ भी दिलाई गई थी। बीते तीन वर्षों में लगभग 500 लोगों को ही शौचायलय निर्माण कराने पर प्रोत्साहन राशि मिली है। अभी 1200 के लाभुक को मिलना बाकी है। वे लोग बराबर प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। इस समय में प्रखंड मुख्यालय में अधिकंश लोग शौचालय के प्रोत्साहन राशि संबंधित कार्य से ही रहते हैं। बताया जाता है कि कई लोग कर्ज लेकर शौचालय का निर्माण कराया लेकिन लाभ नहीं मिला इस कारण कई लोग रूचि नहीं दिखा रहे हैं । जबकि पंचायत के पुरांडीह गांव, पचकल्याण टोल के साथ कई मुहल्ले के लोग खुले मे शौच जा रहे हैं । आश्चर्य तो यह है कि शौचालय निर्माण करा चुके परिवार के लोग भी खुले में शौच जा रहे हैं । महेश झा ने कहा कि जीओ टै¨गग किए कई महीने हो गए लेकिन प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। प्रखंड कार्यालय में संबंधित विभाग के कर्मी पैसा व आधारकार्ड की छाया प्रति लेकर सूची में नाम आगे-पीछे कर देते हैं । ग्रामीण राजकुमार गुप्ता, नेबाजिश करीम, गफार राईन ने कहा कि प्रोत्साहन राशि को सरकार शिविर लगाकर वास्तिक लाभुकों की जांच कर चेक दे दिया जाए तो परेशानी नहीं होगी।
क्या कहते हैं मुखिया:
स्थानीय मुखिया योगेन्द्र साह ने कहा कि समय पर शौचालय निर्माण की राशि मिलनी चाहिए। लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। हालांकि पहले से बहुत बदलाव आया है। लेकिन बुजुर्ग लोग पुराने ढर्रा पर चल रहे हैं। यह एक बड़ा मिशन है। एक आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों से लड़नी पड़ी थी और यह दूसरी लड़ाई है। धीरे-धीरे स्थिति में सुधार होगा।