आधा दर्जन गांव और 15 हजार की आबादी की सुरक्षा के लिए तीन कि.मी. तक तटबंध जरूरी
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी में नेपाल के सेढ़वा गांव के समीप बागमती तटबंध के नोज से जिले के ढेंग रे
सीतामढ़ी। सीतामढ़ी में नेपाल के सेढ़वा गांव के समीप बागमती तटबंध के नोज से जिले के ढेंग रेलवे पुल के समीप तक तीन किलोमीटर तटबंध निर्माण कराकर सुप्पी तथा मेजरगंज के आधा दर्जन गांव तथा 15 हजार की आवादी को सुरक्षा देने तथा कटाव से भारी क्षति की किसान-मजदूरों को भरपाई कराना जरूरी है। इस बाबत संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा की ओर से बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा को मेल भेजा गया है। मेल की प्रति राज्य के जल संसाधन सचिव,आपदा प्रबंधन सचिव तथा समाहर्ता सीतामढ़ी को भी भेजा गया है। मेल में कहा गया है कि तीन किलो मीटर तटबंध नहीं बनाए जाने पर बाढ़ का खतरा जिले के अन्य भागों पर भी पड़ना तय है। बागमती का बाढ़ तटबंध के उतर बगल से मनुषमारा नदी होते अन्य भागों में भी फैल सकता है। जलसंसाधन विभाग ने पहले साजिश कर इन गांवों को तटबंध के बाहर छोड़ दिया तथा इस वर्ष नेपाल मे बागमती के दांये तटबंध मे ब्रह्मपुरी गांव के समीप बनाए गए दर्जन भर ठोकर से नदी की धारा के पूरब दिशा में दबने तथा भारतीय क्षेत्र में खतरे की आशंका से विभाग लापरवाह रहा जिससे कटाव तथा विस्थापन हुआ इसकी जांच कराई जाए। मेल भेजने वालों मे संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा,उतर बिहार के अध्यक्ष डॉ.आनन्द किशोर, जिला अध्यक्ष जलंधर यदुबंशी, महासचिव संजीव कुमार सिंह, मेजरगंज जदयू अध्यक्ष तथा मोर्चा नेता राघवेन्द्र कुमार सिंह, प्रभावित गांव रूसुलपुर के ग्रामीण नागेन्द्र सिंह, जगदीश नारायण सिंह, दामोदर झा, चन्देश्वर महतो, रघुनाथपुर के लक्ष्मी सहनी, छोटेलाल पटेल शामिल हैं। बताया कि इस बार बागमती नदी से करीब ढाई सौ एकड़ खेत तथा फसल एवं पौधे कट गए। करीब दो दर्जन परिवार विस्थापित हो चुकें है। किसान मजदूरों को भारी क्षति हुई है। जिसकी भरपाई जरूरी है। 9 अगस्त क्रांति दिवस पर एआईकेएससीसी द्वारा समाहरणालय पर आयोजित प्रदर्शन में भी इन सवालों को उठाया जाएगा।