एटीएम से 42 लाख रुपये के चोरी के तीन माह बाद भी नहीं मिला सुराग
पुपरी शहर के अतिव्यस्तम मधुबनी बस स्टैंड स्थित एसबीआइ की एटीएम से बिना तोड़फोड़ के करीब 42 लाख रुपये की चोरी का मामलाजो बीत गई सो बात गईवाली बात को चरितार्थ करता दिख रहा है।
सीतामढ़ी। पुपरी शहर के अतिव्यस्तम मधुबनी बस स्टैंड स्थित एसबीआइ की एटीएम से बिना तोड़फोड़ के करीब 42 लाख रुपये की चोरी का मामला'जो बीत गई सो बात गई'वाली बात को चरितार्थ करता दिख रहा है। वजह यह है कि घटना के तीन माह बाद भी न तो एजेंसी सक्रिय दिख रही है और ना ही पुलिस। इलाके में सनसनी फैलाने वाली इतनी बड़ी रकम की चोरी का अब तक उदभेदन तो दूर कोई ठोस नजीता भी सामने नहीं आना सवाल खड़ा करता है।
तीन माह पहले शातिरों ने की थी चोरी : गौरतलब है कि बीते 27 नवंबर की सुबह मधुबनी बस स्टैंड के समीप स्थित एसबीआइ की एटीएम से करीब 42 लाख रुपये की चोरी हुई थी। बिना कोई तोड़फोड़ के हुई चोरी की वारदात की खबर फैलते ही इलाके में सनसनी फैल गई। सूचना के बाद पुलिस हरकत में आई। घटना को लेकर रुपये डालने वाली कंपनी सीएमएस इंफोसिस्टम के लोकेशन इंचार्ज मुजफ्फरपुर के बेनीपुर निवासी प्रभाकर कुमार ने प्राथमिकी दर्ज करा बहेड़ा जाहिदपुर निवासी राजीव कुमार मिश्रा और चंदन कुमार द्वारा 26 नवंबर की शाम रुपये डालने और पासवर्ड उक्त दोनों के पास होने की बात कह अज्ञात को आरोपित किया था। यह भी बताया गया कि पासवर्ड के बिना एटीएम वॉल्ट्स का खोलना या उसे हैक करना मुमकिन नहीं है। तो अब एटीएम से 41.22 लाख रुपये मिलीभगत से लूटे गए या चोरों की तकनीक से, इस एंगल से भी पुलिस द्वारा मामले की जांच शुरू करते हुए राजीव और चंदन से कई दिनों तक पूछताछ की गई।
फोरेंसिक टीम और विभागीय लोगों ने की जांच : वारदात के दूसरे दिन पटना से पहुंचे फोरेंसिक अधिकारी बच्चन प्रसाद और नंद लाल प्रसाद ने करीब चार घंटे तक गहन जांच में केमिकल स्प्रे कर रुपये अपलोड करने वाले कर्मी राजीव और चंदन के फिगर प्रिट नमूनों को लैब में जांच के लिए पटना ले गए। एटीएम की देखरेख और तकनीकी जानकारी रखने वाले एनसीआर कंपनी के सॉफ्टवेयर इंजीनियर देवेंद्र शर्मा और इपीएस के मेंटेनेंस स्टाफ मृणाल कुमार सिन्हा ने भी जांच की। इन दोनों ने यह उजागर किया था कि मशीन के डिस्प्ले के भीतर लगे हिडेन कैमरा के वायर टूटे हैं और 13 नवंबर से बंद है। बाहर के कैमरे भी तीन माह से खराब पाए गए। घटना की शाम 6.27 बजे पैसे डाले गए थे। सुबह 5.14 बजे एटीएम का वॉल्ट्स खोल महज नौ मिनट में रुपये निकाल लिए गए। इस बीच थानाध्यक्ष द्वारा कंपनी से 14 विन्दुओं पर जवाब मांगा गया। अनुसंधान के बीच एटीएम का संचालन करने वाली कंपनी के मुख्य प्रबंधक प्रशांत कुमार सिन्हा के साथ सुधीर कुमार झा, इपीएस के प्रबंधक विक्रम कुमार समेत अन्य दो दिनों बाद पहुंच घटना की जानकारी ली। जबकि पांचवें दिन एसपी के निर्देश पर जिला तकनीकी सेल की टीम पहुंच मामले की जांच की। बावजूद अबतक पुलिस को कोई सफलता नहीं मिल सकी है। स्थिति यह है कि अन्य चोरी की वारदातों की तरह इसे भी फाइलों में कैद कर दिया गया है। हैरत की बात यह भी है कि एटीएम से संबंधित विभाग और एजेंसी की सक्रियता भी घटना के वक्त की तरह नहीं दिख रही।
बैक और एजेंसी भी बेपरवाह : एटीएम से इतनी बड़ी राशि की चोरी को लेकर संबंधित बैंक और रुपये अपलोड करने वाली एजेंसी की उदासीनता भी कई सवाल खड़े कर रही है। बताया जाता है कि एटीएम में रुपये डालने वाली कंपनी सीएमएस इंफोसिस्टम नामक एजेंसी से पुलिस ने घटना के बाद सुरक्षा से संबंधित जिन 14 बिदुओं पर जवाब मांगा था वह पुलिस की नजर में गोल मटोल जैसा है। इधर, इतनी बड़ी घटना के बाद भी एटीएम की सुरक्षा में कोई खास बदलाव नहीं दिख रहा है।