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400 परिवार के लोग ही पूरे देश के हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज : उपेंद्र कुशवाहा

केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बदलाव की मांग की।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Sep 2018 12:53 AM (IST)Updated: Mon, 17 Sep 2018 12:53 AM (IST)
400 परिवार के लोग ही पूरे देश के हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज : उपेंद्र कुशवाहा
400 परिवार के लोग ही पूरे देश के हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज : उपेंद्र कुशवाहा

सीतामढ़ी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री सह राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बदलाव की मांग की। कहा है कि जजों की बहाली प्रक्रिया घोर अन्यायपूर्ण है। बगैर विज्ञापन निकाले पांच जजों की टीम नए जजों की नियुक्ति करती है। सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट के जज नियुक्ति नहीं करते हैं, बल्कि अपना उत्तराधिकारी चुनते हैं। इस तरह देश भर के हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में 400 परिवार के लोग ही जजों के पद पर आसीन हैं। रालोसपा के तत्वावधान में शहर स्थित राजेंद्र भवन में आयोजित दलित, महादलित, अति पिछड़ा अधिकार सम्मेलन का उदघाटन करने के बाद केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जजों की बहाली की इस प्रक्रिया के चलते दलित, महादलित और अति पिछड़ा वर्ग के लोग हो या सवर्ण समेत समाज के अन्य वर्ग के गरीब लोगों के लिए जज बनने के दरवाजे बंद हैं। इस दरवाजे को खोलने के लिए हम संघर्ष कर रहे हैं। कहा कि चाय बेचने वाला देश का पीएम बन सकता है, लेकिन मेरिट वाला गरीब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का जज नहीं बन सकता। उन्होंने राजनीतिक दलों के आंदोलन के बाद सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर सुप्रीम कोर्ट के जजों के रोक लगाने को लेकर भी सवाल उठाया। फैसलों को लेकर नाराजगी जताई। कहा कि बड़े-बड़े आंदोलन पर भी कोर्ट के फैसले पानी फेर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जज के पद पर दलित, महादलित और अति पिछड़ा वर्ग के लोग नहीं हैं। कहा, हम चुप नहीं रहेंगे। अपना हक लेकर रहेंगे। आज देश का दलित, महादलित और अति पिछड़ा वर्ग उपेक्षित है। ऐसे में पहले उन्हें मुख्य धारा से जोड़ना है। पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था दी गई है, लेकिन इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। अब तक संविधान के प्रावधान व मंडल कमीशन की अनुशंसा को पूर्ण रूपेण लागू नहीं किया जा सका है। यहां बेइमानी की गई है। लेकिन, वे इसे लागू करवा कर रहेंगे। उन्होंने बिहार व केंद्र की नौकरी में पिछड़ा वर्ग व अति पिछड़ा वर्ग के लिए अलग-अलग आरक्षण मांगा, वहीं निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की वकालत की। कहा कि उनकी पार्टी समाज के सभी वर्ग के लोगों के हक के लिए संघर्ष कर रही है।

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