विपाशना हमें कराता है वर्तमान का अभ्यास : दीपांकर लामा
शेखपुरा। मन की शांति का एक नायाव उपाय विपाशना है। यह छात्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है। विपाशना हमें भ
शेखपुरा। मन की शांति का एक नायाव उपाय विपाशना है। यह छात्रों के लिए अत्यंत आवश्यक है। विपाशना हमें भूत और भविष्य के चक्कर से मुक्त होकर वर्तमान में जीने का अभ्यास कराता है। उक्त बातें मुख्य अतिथि दीपांकर लामा ने शनिवार को स्थानीय एसकेआर कॉलेज के सभागार में विपाशना थ्योरी एण्ड प्रैक्टिस विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन के उपरांत कही।
उन्होंने कहा कि विपाशना का मतलब है जो जैसा है उसे उसके मूल स्वाभाव में देखना। 10 दिवसीय विपाशना ध्यान पूरे विश्व में उनके लिए आयोजित होता है जो दु:ख से सम्पूर्ण मुक्ति तथा निर्वाण प्राप्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं। ऑल्पिन लामा ने कहा कि जिस तरह से शारीरिक व्यायाम तथा नियमित भोजन स्वास्थ्य एवं मजबूत शरीर के लिए जरूरी है उसी तरह आनापान और ध्यान स्वस्थ एवं सुन्दर मन के लिए जरूरी है। इस मौके पर डा. नवल प्रसाद, प्रो. केके ¨सह, प्रो. हरिनारायण गुप्ता, प्रो. यूपी दास, डॉ यूके भगत, प्रमोद कुमार, अमरनाथ प्रसाद ¨सह सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। आगत अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य डॉ कृष्ण कुमार ने अंग वस्त्र एवं पुष्प गुच्छ देकर किया। मंच संचालन डा. भवेश चन्द्र पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार के संयोजक डा. वीरेन्द्र पाण्डेय ने किया।