घर का काम-काज छोड़कर महिलायें दौड़ रही आफिस
पैक्स अध्यक्षों के पक्षपात और मनमानी के शिकार हुए किसान अब सहकारिता कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। ये किसान वे हैं जिनके सदस्यता फार्म को पैक्स के अध्यक्षों ने अस्वीकृत कर दिया है। ऐसे लोग अब अपनी सदस्यता के लिए सहकारिता कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। सरकार ने ऐसे किसानों को अपना दावा-आपत्ति सहकारिता कार्यालय में करने के लिए कहा है।
शेखपुरा:
पैक्स अध्यक्षों के पक्षपात और मनमानी के शिकार हुए किसान अब सहकारिता कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। ये किसान वे हैं जिनके सदस्यता फार्म को पैक्स के अध्यक्षों ने अस्वीकृत कर दिया है। ऐसे लोग अब अपनी सदस्यता के लिए सहकारिता कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। सरकार ने ऐसे किसानों को अपना दावा-आपत्ति सहकारिता कार्यालय में करने के लिए कहा है। इसी को लेकर लोग रोज जिला सहकारिता कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिला किसान भी शामिल हैं,जो पैक्स की सदस्यता ग्रहण करके आसन्न पैक्स चुनाव में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहती हैं। इस बाबत सहकारिता पदाधिकारी ने बताया कि जिनके आवेदन पैक्स अध्यक्ष द्वारा रद किये गए हैं,उनके दावों-आपत्तियों की सुनवाई की जा रही है। सुनवाई का काम समूचे नवंबर महीने तक की जायेगी। बताया गया कि पैक्स की सदस्यता के लिए जिला के 8081 किसानों ने आनलाइन आवेदन दिया था। इसमें से पैक्स अध्यक्षों ने 2729 आवेदन रद कर दिया है। इन्हीं की सुनवाई की जा रही है। अपने दावे-आपत्तियों पर सुनवाई के लिए रोज विभिन्न पैक्सों से जुड़े महिला-पुरुष घर का काम-काज छोड़कर आफिस का चक्कर लगा रहे हैं। इधर माले के जिला सचिव विजय कुमार तथा भाजपा नेता आमोद कुमार ने दावों-आपत्तियों की सुनवाई में सहकारिता कार्यालय में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। आरोप लगाया कि कार्यालय में माफिया और बिचौलिया संस्कृति हावी है।इधर सहकारिता पदाधिकारी ने इन आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि सुनवाई का काम पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है।