मगही भाषा की सरकारी उपेक्षा पर बैठक में जताया आक्रोश
शेखपुरा। केंद्र सरकार पर मगही भाषा की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मगही साहित्यकारों ने आंदोलन की घोषण
शेखपुरा। केंद्र सरकार पर मगही भाषा की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए मगही साहित्यकारों ने आंदोलन की घोषणा की है। इसको लेकर रविवार को शेखपुरा के श्यामा सरोवर पार्क में बैठक आयोजित की गई। साहित्य संगम के बैनर तले आयोजित इस बैठक में जिला के मगही साहित्यकारों के साथ मगही भाषा से जुड़े कई लोग भी शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता मगही साहित्यकार उपेंद्र प्रसाद प्रेमी ने की। बैठक में मगही साहित्यकार ममता पांडे,ब्रजेश कुमार सुमन,अभय कुमार,कुशवाहा कृष्ण,सत्यदेव,राजेश कुमार,जितेंद्र महतो सहित कई अन्य ने भी हिस्सा लिया। बैठक में मगही भाषा से जुड़े लोगों तथा साहित्यकारों ने कहा कि बिहार के साथ झारखंड,छतीसगढ़,व एमपी के इलाकों में लगभग चार करोड़ लोग मगही भाषा बोलते हैं और इनकी मातृ भाषा भी मगही है। बैठक में जुटे साहित्यकारों ने कहा कि मगही भाषा-भाषी लोग एक डेढ़ दर्जन से अधिक सांसद को अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद भेजते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी आबादी को किनारे रखना जानबूझ कर उपेक्षा है। बैठक में शामिल मगही भाषा के साहित्यकारों ने कहा कि पिछले सप्ताह ही सरकार ने संसद में जिन 22 भाषाओं को संसद में अपने विचार रखने का माध्यम के रूप में सूचीबद्ध किया है। उसमें भी मगही भाषा को स्थान नहीं दिया गया है। बैठक में लोगों में मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की। इसके लिए 24 सितंबर को पटना में मगही भाषा-भाषियों का बड़ा धरना आयोजित करने का निर्णय लिया गया।