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कैच द रेन अभियान का मिसाल है कन्या मध्य विद्यालय

शेखपुरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कैच द रेन अभियान प्यासी धरती की प्यास बुझाने को लेकर शुरू की गई है। इस अभियान में बरसात के पानी को धरती की प्यास बुझाने के लिए उपयोग किए जाने की अपील की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 11:35 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 11:35 PM (IST)
कैच द रेन अभियान का मिसाल है कन्या मध्य विद्यालय
कैच द रेन अभियान का मिसाल है कन्या मध्य विद्यालय

शेखपुरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा कैच द रेन अभियान प्यासी धरती की प्यास बुझाने को लेकर शुरू की गई है। इस अभियान में बरसात के पानी को धरती की प्यास बुझाने के लिए उपयोग किए जाने की अपील की जा रही है। इसमें वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को प्राथमिकता दी जा रही है। प्रधानमंत्री के इसी कैच द रेन अभियान से प्रेरित होकर एक स्कूल के द्वारा अनोखी मिसाल पेश कर दी गई है। जहां स्कूल में तीन फीट तक बरसात के दिनों में जलजमाव रहता था वहीं अब इस स्थिति से बच्चों को छुटकारा मिल गया है। यह स्कूल है शेखपुरा जिले के बरबीघा नगर में संचालित आदर्श कन्या मध्य विद्यालय।

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तीन फीट तक बरसात में जलजमाव से छात्राएं रहती थी परेशान

बरबीघा नगर के पुरानी शहर मोहल्ला में संचालित आदर्श कन्या मध्य विद्यालय में तीन फीट तक पानी से जल जमाव की स्थिति रहती थी। इसका मुख्य कारण स्कूल के चारों तरफ जल निकासी का साधन नहीं होना और सड़कों का ऊंचा हो जाना था। इस वजह से विद्यालय परिसर तीन चार फीट नीचे चला गया है। बरसात होने पर स्कूल परिसर में जलजमाव की स्थिति हो जाती थी और उसी पानी से होकर बच्चे अपने वर्ग तक आते जाते थे।

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भर दिए गए कुएं को बनाया वाटर हार्वेस्टिग का साधन तो बदल गई तस्वीर

कन्या मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक विनोद कुमार बताते हैं कि वाटर हार्वेस्टिग अभियान के तहत जब शिक्षा विभाग ने पहल की तो उनके मन में यह बात उठी कि पुराने और भर दिए गए कुएं का उपयोग वाटर हार्वेस्टिग के लिए किया जा सकता है। फिर इस पुराने कुएं की खुदाई की गई और खोदकर मिट्टी निकाला गया। फिर उसे वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के तहत सोख्ता के रूप में इस्तेमाल किए जाने को लेकर उसमें इंट और बालू भर दिया गया। स्कूल परिसर के पूरे पानी को इसी सोख्ता में गिराने की व्यवस्था कर दी गई। अब कितना भी मूसलाधार बारिश होता है तो 5 मिनट से 10 मिनट के अंदर-अंदर सारा पानी इस कुएं के माध्यम से धरती में चला जाता है। जिससे जलजमाव की स्थिति से छुटकारा बच्चों को मिल गया और इसी के साथ-साथ भूजल स्तर में सुधार को लेकर एक पहल भी हो गई।


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